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लसाडिय़ा बांध : नहरों के पानी से सोना उगलेगी रबी फसल

locationअजमेरPublished: Nov 22, 2019 01:53:56 am

Submitted by:

suresh bharti

सिंचाई विभाग ने लसाडिय़ा बांध की मुख्य नहर से छोड़ा पानी,१८ दिसम्बर तक खेतों में हो सकेगी फसल सिंचाई,बांध की नहर से 10 गांव की करीब 34 हजार एकड़ जमीन की होगी सिंचाई

Water released in canals from Lassadia dam in Ajmer district

लसाडिय़ा बांध की नहर

अजमेर. जिले के प्रमुख लसाडिय़ा बांध (lassadia dam) की नहरों के पानी से रबी की फसलें सोना उगलेगी। इस साल बांध में क्षमता से अधिक पानी (water) आया है। इसलिए बांध प्रशासन पेयजल (drinking water) ) के साथ-साथ फसल सिंचाई के पानी सप्लाई में कंजूसी नहीं बरत रहा।
गुरुवार को लसाडिय़ा बांध की नहर (canals) में सिंचाई के लिए पानी छोड़ा गया। लसाडिय़ा बांध समीप हैड रेगुलेटर पर सिंचाई विभाग के सहायक अभियंता श्रीराम पुष्प एवं कनिष्ठ अभियंता अनिल कुमार मीणा ने पूजा-अर्चना कर नहर( canals) में पानी खोला गया। इस बार क्षेत्र में पर्याप्त वर्षा के चलते लसाडिय़ा बांध (lassadia dam) की करीब एक माह तक चादर चली। वर्तमान में यह लबालब है। क्षेत्र के किसानों ने खेतों की पलावन के लिए पानी की मांग की थी।
कनिष्ठ अभियंता मीणा के अनुसार नहरों (canals) में पानी छोडऩे के बाद विभाग के अधिकारियों ने क्षेत्र के दौरा कर पानी अंतिम छोर तक पहुंचाने की योजना बनाई। ज्ञात रहे कि लसाडिय़ा बांध (lassadia dam) जल वितरण कमेटी के चुनाव इस साल निर्विरोध हुए। जल वितरण की बैठक में काश्तकारों की मांग के अनुसार नहरों (canals) में पानी छोडऩे का प्रस्ताव पारित किया है।
मीणा ने बताया कि 20 नवंबर से 18 दिसंबर तक नहर चलेगी। 10 दिन के अंतराल के बाद दूसरी बार पानी छोडऩे के लिए 28 दिसंबर से 25 जनवरी 2020 तय की गई है। बैठक में यह भी निर्णय किया गया कि अगर उसके बाद भी बांध (dam) में पानी बचता है तो फिर नहर खोलने की अनुमति ली जाएगी।
लसाडिय़ा बांध की कुल भराव क्षमता 3.42 मीटर है। बांध की मुख्य नहर की लंबाई 14920 मीटर है। बांध की नहर से 10 गांव की करीब 34 हजार एकड़ जमीन की सिंचाई होती है।
इस बार समय पर की सफाई

सिंचाई विभाग ने इस बार जेसीबी से नहर की सफाई कराई है। हालांकि नहर वर्तमान समय में कई जगह से क्षतिग्रस्त थी। इस पर विभाग ने मिट्टी की दीवार बनाकर इतिश्री कर ली।
फैक्ट फाइल

– लसाडिय़ा बांध (की मुख्य नहर की लंबाई : 14920 मीटर।

– बांध की कुल भराव क्षमता : 3.43 मीटर

– इस वर्ष बाद में करीब 3.18 मीटर जलस्तर
– बांध में कुल पानी भराव : 345.27 एमसीएफटी
– नहर से 2080 हैक्टेयर भूमि की सिंचाई
– बांध से क्षेत्र के 10 गांवों की होती है सिंचाई

कब-कब छोड़ा पानी

लसाडिय़ा बांध (lassadia dam) से कमांड क्षेत्र में सिंचाई के लिए सबसे पहले 15 नवंबर 2004 को 2.67 मीटर पानी भरने के बाद छोड़ा गया। इससे 219 एकड़ भूमि की सिंचाई हुई। 12 जनवरी 2010 को 2.90 मीटर की कुल भराव क्षमता के बाद 29 सौ एकड़ जमीन की सिंचाई के लिए पानी छोड़ा गया। वर्ष 2005 से 2010 तक बांध (dam) पानी की भराव क्षमता तक नहीं पहुंच पाया जिससे पानी नहीं छोड़ा गया।
10 नवंबर 2011 को 2.95 मीटर नहर में पानी छोड़ा गया, जिससे 27 सो एकड़ भूमि की सिंचाई हुई। वर्ष 2012 में 3.80 मीटर पानी भरा जिससे बांध की नहरों में पानी छोडऩे से 34 सौ एकड़ भूमि की सिंचाई हुई। वर्ष 2013 व 14 में 1.80 मीटर पानी नहरों में छोड़ा गया।
वर्ष 2015 में 850 एकड़ भूमि की सिंचाई हुई। 2016 में भी नहर खोली गई ।उसके बाद 2017 व 18 में अपर्याप्त बरसात के चलते नेहरू में पानी नहीं छोड़ा गया। इस बार क्षेत्र में अच्छी बरसात के चलते नहर में पानी छोड़ा गया।
इन गांवों के काश्तकारों को मिलता है लाभ

लसाडिय़ा बांध (lasadia dam) से धुवालिया, रामपुरा,केसरपुरा, जुनिया, छाबडय़िा, लसाडिय़ा, रंगीली का झोपड़ा,बीसलपुर कॉलोनी छाबडिय़ा, कनोज, देवलिया खुर्द, कुमावतों का नयागांव,हरिरामपुरा कॉलोनी एवं कल्याणपुरा सहित मगरा क्षेत्र की फसल सिंचाई होती है।
नहीं पहुंचता टेल क्षेत्र में पानी

लसाडिय़ा बांध की नहर टेल क्षेत्र के काश्तकारों ने बताया कि जब से नहर बनी है। तब से नहर के जगह-जगह क्षतिग्रस्त होने से पानी की चाल धीमी रहती है। ऐसे में अंतिम छोर तक पानी नहीं पहुंच पाता है। क्षेत्र के किसानों ने बताया कि नहर तंत्र का संचालन सही तरीके से नहीं होने के चलते जल प्रभाव के दौरान हैड क्षेत्र के किसान सुकून में रहते हैं, लेकिन टेल क्षेत्र के किसानों को पानी के लिए काफी इंतजार करना पड़ता है। पानी के पहुंचने तक फसल सूखने की कगार पर पहुंच जाती है।
अनकमांड क्षेत्र में होती है पानी की चोरी

लसाडिय़ा बांध (lassadia dam) की जब भी नहर खोली गई जब से ही अनकमांड क्षेत्र के कई काश्तकार भी डीजल पंप सेट चलाकर लंबी पाइप लाइन से पानी की चोरी करते आ रहे हैं। इससे नहर में छोड़े जाने वाले पानी की दाम कम एवं पानी का लेवल वह प्रेशर कम हो जाता है। अगर इस बार सिंचाई विभाग मुस्तैद नहीं रहा तो पानी की चोरी कर अनकमांड क्षेत्र में सिंचाई की जाएगी।

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