weather: फरवरी में बढ़ी गर्माहट, सताने लगी तेज धूप
फरवरी के दूसरे पखवाड़े में बदले मौसम ने मार्च-अप्रेल तक भीषण गर्मी के संकेत दे दिए हैं।
फरवरी में बढ़ी गर्माहट, सताने लगी तेज धूप
अजमेर. शहर में मौसम का मिजाज बदला रहा है। अब तेज धूप सताने लगी है। शनिवार को भी तीखी धूप के कारण गर्माहट कायम है। अधिकतम तापमान 29.0 और न्यूनतम 14.2 डिग्री रहा।
अलसुबह हल्की ठंडक बनी हुई है। लेकिन धूप निकलते ही मौसम बदल गया। सुबह पहाड़ों पर हल्की धुंध सी नजर आई। लेकिन इसका मौसम पर कोई फर्क नहीं पड़ा। शाम तक तीखी धूप ने सताया। पिछले एक सप्ताह से सूरज की तपन बढ़ लोगों को गर्म कपड़े कचोटते रहे हैं। धूप में खड़े रहना भी मुश्किल हो रहा है। फरवरी के दूसरे पखवाड़े में बदले मौसम ने मार्च-अप्रेल तक भीषण गर्मी के संकेत दे दिए हैं।
यूं बदलता रहा तापमान
फरवरी के शुरुआत से पारे में उतार-चढ़ाव बना हुआ है। शुरुआती दिनों में न्यूनतम तापमान दो दिन में 7 से 9 डिग्री तक रहा था। 10 फरवरी के बाद से इसमें उतार-चढ़ाव का दौर जारी है। पिछले तीन चार दिन से तापमान 10 से 13 डिग्री के बीच घूम रहा है। फाल्गुन माह की शुरुआत 28 फरवरी से होगी। फाल्गुन में हवाएं चलने के अलावा हल्की-हल्की गर्माहट भी महसूस होती है।
हाईकोर्ट का सरकार को झटका, कुलपति को हटाने का आदेश रद्द
अजमेर. राजस्थान हाईकोर्ट ने महर्षि दयानंद सरस्वती विश्वविद्यालय के कुलपति (रामपाल सिंह)को हटाने बतौर कुलाधिपति कलराज मिश्र के ढाई महीने पुराने आदेश को रद्द कर दिया है। हालांकि कोर्ट ने निलंबन सही माना है और विधिक प्रक्रिया अपनाते हुए रामपाल सिंह को हटाने की कार्रवाई फिर से शुरू करने की छूट दी है।
रामपाल ने बर्खास्तगी के खिलाफ राजस्थान हाईकोर्ट में याचिका लगाई थी। उसने कुलाधिपति एवं राज्यपाल कलराज मिश्र सहित सरकार को पक्षकार बनाते हुए स्थगन आदेश की प्रार्थना की। इसके तहत हाईकोर्ट ने बीते दिनों सुनवाई कर फैसला सुरक्षित रखा था। हाईकोर्ट ने 18 सितम्बर को आदेश जारी किया। इसमें रामपाल की बर्खास्तगी को क्वैश किया गया है।
याची को सुनवाई का अधिकार
न्यायाधीश संजीव प्रकाश शर्मा के आदेश में कहा गया है, कि याची के खिलाफ की गई कार्रवाई भारतीय संविधान की धारा 311 (2), और 311 (3) के तहत नहीं हुई है। राज्य सरकार ने उसके खिलाफ हाईकोर्ट में चार्जशीट फाइल नहीं की। लिहाजा बर्खास्तगी का आदेश किसी जांच के आधार पर नहीं किया जा सकता है। लिहाजा याची को बर्खास्तगी से पहले संवैधानिक आधार पर सुनवाई का अधिकार दिया जाना चाहिए।
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