फरवरी के दूसरे पखवाड़े में मौसम में गर्माहट महसूस होने लगी है। दिन में गर्म कपड़े नहीं सुहा रहे। शुक्रवार सुबह से धूप का तीखापन परेशान कर रहा है। गड़बड़ा रहीं ऋतुएं
मौसम विज्ञानियों का मानना है कि ग्लोबल वार्मिंग से मौसम असामान्य बनता जा राह है। जिन स्थानों पर कम बरसात होती थी वहां अतिवृष्टि और बाढ़ आ रही है। पिछले साल बिहार, झारखंड में आई बाढ़ और हाल में उत्तराखंड के चमौली में ग्लेशियर टूटना इसका परिचायक है।अजमेर में प्रत्येक ऋतु में तापमान सामान्य रहा करता था। यहां सर्दी और बरसात का मौसम तो सबसे सुहावना होता था। लेकिन अब यह धीरे-धीरे गर्म शहर में तब्दील हो रहा है।
मौसम विज्ञानियों का मानना है कि ग्लोबल वार्मिंग से मौसम असामान्य बनता जा राह है। जिन स्थानों पर कम बरसात होती थी वहां अतिवृष्टि और बाढ़ आ रही है। पिछले साल बिहार, झारखंड में आई बाढ़ और हाल में उत्तराखंड के चमौली में ग्लेशियर टूटना इसका परिचायक है।अजमेर में प्रत्येक ऋतु में तापमान सामान्य रहा करता था। यहां सर्दी और बरसात का मौसम तो सबसे सुहावना होता था। लेकिन अब यह धीरे-धीरे गर्म शहर में तब्दील हो रहा है।
पिछले दिन यूं बदला पारा
फरवरी के शुरुआत से मौसम में लगातार बदलाव बना हुआ है। 1 से 9 जनवरी तक न्यूनतम पारा 7 से 9 डिग्री के बीच रहा। इसके बाद 10 से 20 फरवरी तक तापमान 11.6 से 13.5 डिग्री तक रहा। पिछले दो-तीन में तो न्यूनतम पारा बढ़ता हुआ 15 डिग्री तक जा पहुंचा है। यही हाल अधिकतम तापमान का है। यह भी 34 डिग्री के पार पहुंच चुका है।
फरवरी के शुरुआत से मौसम में लगातार बदलाव बना हुआ है। 1 से 9 जनवरी तक न्यूनतम पारा 7 से 9 डिग्री के बीच रहा। इसके बाद 10 से 20 फरवरी तक तापमान 11.6 से 13.5 डिग्री तक रहा। पिछले दो-तीन में तो न्यूनतम पारा बढ़ता हुआ 15 डिग्री तक जा पहुंचा है। यही हाल अधिकतम तापमान का है। यह भी 34 डिग्री के पार पहुंच चुका है।
कॉलेज में बनेगा गल्र्स कॉमन रूम, यह होंगी सुविधाएं रक्तिम तिवारी/अजमेर. बड़ल्या स्थित इंजीनियरिंग कॉलेज में गल्र्स कॉमन रूम बनाया जाएगा। इससे कॉलेज में अध्ययनरत छात्राओं को बैठने और पढऩे की सुविधा मिलेगी। छात्राओं के लिए कॉमन रूम में आवश्यक सुविधाएं जुटाई जाएंगी।
1996-97 में स्थापित इंजीनियरिंग कॉलेज में गल्र्स कॉमन रूम सुविधा नहीं है। छात्राओं को कैंपस में कैंटीन, लाइब्रेरी अथवा इधर-उधर बैठना पड़ता है। इससे कई बार उन्हें असुविधाएं होती हैं। खासतौर पर कोई क्लास नहीं होने पर ज्यादा समस्या होती है। लिहाजा प्राचार्य डॉ. रेखा मेहरा ने छात्राओं के सुविधार्थ गल्र्स कॉमन रूम बनाने का फैसला किया है।
रखी जाएंगी पत्र-पत्रिकाएं
कॉलेज भवन के किसी कमरे में कॉमन रूम बनाया जाएगा। इसमें बैठने के लिए कुर्सियां और पढऩे के लिए मेज लगाई जाएंगी। छात्राओं के लिए समाचार पत्र, पत्रिकाएं भी रखी जाएंगी। छात्राएं यहां बैठकर पढ़ाई के अलावा कोई क्लास नहीं होने पर वक्त बिता सकेंगी। इसके अलावा सेनेटरी नेपकिन मशीन लगाई जाएगी। टॉयलेट भी बनाया जाएगा।
कॉलेज भवन के किसी कमरे में कॉमन रूम बनाया जाएगा। इसमें बैठने के लिए कुर्सियां और पढऩे के लिए मेज लगाई जाएंगी। छात्राओं के लिए समाचार पत्र, पत्रिकाएं भी रखी जाएंगी। छात्राएं यहां बैठकर पढ़ाई के अलावा कोई क्लास नहीं होने पर वक्त बिता सकेंगी। इसके अलावा सेनेटरी नेपकिन मशीन लगाई जाएगी। टॉयलेट भी बनाया जाएगा।
यूनिवर्सिटी में नहीं परवाह
मदस विश्वविद्यालय में गल्र्स कॉमन रूम नहीं हैं। यहां विभागवार छात्राएं परेशान होती हैं। छात्राओं को भवनों के बाहर या वाहन स्टैंड पर वक्त बिताना पड़ता है। भोजन के लिए भी कोई कॉमन एरिया नहीं है।
मदस विश्वविद्यालय में गल्र्स कॉमन रूम नहीं हैं। यहां विभागवार छात्राएं परेशान होती हैं। छात्राओं को भवनों के बाहर या वाहन स्टैंड पर वक्त बिताना पड़ता है। भोजन के लिए भी कोई कॉमन एरिया नहीं है।