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तपस्विनी संतोष कोठारी के वरघोड़े में झलकी जैन संस्कृति

locationअजमेरPublished: Sep 02, 2019 11:11:32 pm

Submitted by:

suresh bharti

जैन श्वेताम्बर समाज के महापर्युषण पर्व पर तप,त्याग व आराधना के आयोजन, मणिपुंज सेवा संस्थान में तीस उपवास करने तपस्विनी कोठारी का किया बहुमान

तपस्विनी संतोष कोठारी के वरघोड़े में झलकी जैन संस्कृति

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अजमेर. श्री वद्र्धमान जैन स्थानकवासी श्रावक संघ की ओर से बी. के.कौल नगर स्थित मणिपुंज सेवा संस्थान में तीस उपवास करने वाली संतोष कोठारी का बहुमान किया गया। इससे पहले वरघोड़ा लोकशाह कॉलोनी स्थित उनके निवास स्थान से बैण्डबाजे की स्वर लहरियों के बीच रवाना हुआ।
इस दौरान पचरंगी पताकाओं के साथ वरघोड़े के आगे घुड़सवार चलते रहे। श्रावक-श्राविकाएं ढोल-ढमाके के बीच जयकारे लगाते रहे। वरघोड़ा प्रमुख मार्गों से होता हुआ मणिपुंज सेवा संस्थान पहुंचा। तपस्वी संतोष कोठारी सुसज्जित बग्गी पर बैठी। इस दौरान रास्ते में कई जगह पुष्पवर्षा की गई।
आज हमारो मन केसरिया…

तपस्वी संतोष कोठारी के बहुमान समारोह के दौरान जैन समाज के महिला-पुरुषों ने सामूहिक रूप से अनुमोदना…अनुमोदना… धन्यवाद.. धन्यवाद का उच्चारण किया। साथ में केसरिया-केसरिया,आज हमारो मन केसरिया गीत की गूंज होती रही। समाज के प्रमुख लोगों ने माल्यार्पण, शॉल व साड़ी ओढ़ाकर तपस्वी का सम्मान किया। श्री वद्र्धमान जैन स्थानकवासी श्रावक संघ की ओर से अध्यक्ष शिखरचंद सिंघी व अन्य पदाधिकारियों ने सुनिल कोठारी व अनिल कोठारी समेत अन्य परिजन का माल्यार्पण कर व प्रशंसा-पत्र भेंट कर अभिनंदन किया। बहुमान समारोह में ब्यावर, केकड़ी, किशनगढ़, जयपुर, अजमेर, मसूदा, सरवाड़,भिनाय व बिजयनगर से श्वेताम्बर समाज के प्रमुख लोगों ने शिरकत की।
ब्यावर से आए समाज के कई लोग
श्री अखिल भारतीय साधुमार्गी शांत क्रांति संघ के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष धर्मीचंद कोठारी की पुत्रवधू तपस्विनी संतोष कोठारी के 31 उपवास मास खमण पर आयोजित वरघोड़े में ब्यावर के श्रावक व श्राविकाओं ने हिस्सा लेकर तपस्विनी संतोष का अभिनन्दन किया। ह्यावर के शांतिलाल कोठारी, बिरदीचंद सांखला,महेंद्र ,सांखला, प्रकाश जैन,ज्ञान चन्द कोठारी, कमल कोठारी, प्रिंस जैन, निहाल कोठारी व महिला मंडल की मंजु जैन,अंजु कोठारी, शालीनी कोठारी व ईशा जैन ने तपस्विनी का माल्यर्पण कर व चुंदरी ओढक़र बहुमान किया। इस मौके पर दल के सदस्यों का सुनिल व अनिल कोठारी ने स्मृति चिह्न देकर सम्मानित किया।
तप, त्याग और समर्पण जैन धर्म की पहचान : नवीन प्रज्ञ

जैन मुनि नवीन प्रज्ञ ने कहा कि जैन धर्म ने दुनिया हर समाज व इंसान को जोडऩे का कार्य किया है। अहिंसा के सिद्धांत से विश्व बधुत्व की भावनाओं को बल मिला है। सामाजिक समरसता फैलाकर सद्भावना की जड़ें मजबूत करने में जैन समाज सबसे आगे है। हर जीव की सेवा व दया करने के भाव प्रत्येक श्रावक में कूट-कूटकर भरे हैं। नवीन प्रज्ञ सोमवार को बी. के. कौल नगर स्थित मणिपुंज सेवा संस्थान में आयोजित चातुर्मास प्रवचन समारोह में बोल रहे थे। उन्होंने कहा कि जैन धर्म की पहचान त्याग, तपस्या और समर्पण से हैं। जैन संतों के साथ-साथ समाज के लोग भी क ठोर तपस्या कर वीतराग प्रभु की आराधना कर रहे हैं।
संयमित जीवन जीना जरूरी

जाग्रत मुनि ने कहा कि कषायों को त्यागकर संयमित जीवन जीने से आत्मा को शांति मिलेगी। भौतिक संसाधनों की चकाचौंध से दूर हटकर हमें संयम बरतना होगा। श्रावक को चातुर्मास के समय ही नहीं, बल्कि पूरे बारह माह तपस्या करनी चाहिए। भगवान अरिहंत के चरणों को नमन करते हुए तप,त्याग व आराधना से जुडऩा होगा। उन्होंने कोठारी परिवार की बहू संतोष के ३० उपवास की प्रशंसा करते हुए कहा कि यह संस्कारों का परिणाम है। ऐसी तपस्या करने वाले को अरिहंत भगवान का आशीर्वाद रहता है। एक, दो, तीन, पांच व आठ उपवास तो किए जा सकते है, लेकिन तीस उपवास कठोर तपस्या है। जो समाज के लोगों के लिए प्रेरणादायी है।

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