scriptshamefull: पत्नी ने मांगे 20 लाख रुपए, वजह जानकर चौंक जाएंगे आप | Wife demand for 20 million rupees, death of husband | Patrika News

shamefull: पत्नी ने मांगे 20 लाख रुपए, वजह जानकर चौंक जाएंगे आप

locationअजमेरPublished: Aug 14, 2018 05:09:44 pm

Submitted by:

raktim tiwari

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wife demand for claim

wife demand for claim

अजमेर

इलाज में लापरवाही के कारण वकील की कथित मौत के मामले में उसकी पत्नी ने मुआवजे की मांग लेकर स्थायी लोक अदालत की शरण ली है। अदालत ने मामले में जवाहरलाल नेहरू चिकित्सालय के अधीक्षक व संयुक्त निदेशक चिकित्सा व स्वास्थ्य विभाग, अजमेर को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है।
प्रार्थी नानी देवी पत्नी स्वर्गीय एडवोकेट बाबूसिंह रावत ने वकील सत्यनारायण हावा के जरिए अदालत में प्रार्थना पत्र दायर किया है।

इसमें बताया गया है कि वकील रावत 26 जून को पेट में दर्द होने के कारण चिकित्सालय की आपातकालीन इकाई पहुंचे। जहां डॉक्टरों ने सोनोग्राफ ी कर पेनकिलर व गैस का इंजेक्शन लगाकर घर भेज दिया। अगले दिन भी दर्द होने पर परिजन वकील रावत को लेकर अस्पताल पहुंचे तो उसके पेट में दर्द का उपचार कर घर भेज दिया।
इसके बाद पुन: तबीयत खराब होने पर अस्पताल पहुंचे तो डॉक्टरों ने बिना कुछ जांच किए पुरानी पर्ची अनुसार इंजेक्शन लगा दिया।

तबीयत फिर भी ठीक नहीं होने पर उसके परिजन संत फ्रांसिस हॉस्पिटल में दिखाया। जहां उसे अपेन्डिक्स की नस फटना बताया। इसके बाद परिजन पुन: जवाहरलाल नेहरू चिकित्सालय पहुंचे जहां उसके उपचार में लापरवाही की गई जिससे इलाज के दौरान वकील रावत की मौत हो गई।
प्रार्थीया नानी देवी ने अदालत से मुआवजे के रूप में परिवार के लालन पालन के लिए 20 लाख रुपए की मांग की है। मामले में अदालत ने विपक्षियों को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है।
पहले वो समझाएंगे हस्बैंड और वाइफ को…

पारिवारिक या दंपत्तियों के विवाद पुलिस में जाने पर तुरंत कार्रवाई नहीं होगी। इसके लिए मामले को परिवार कल्याण समिति को भेजा जाएगा। समिति दंपत्तियों के विवाद को सुलझाने का प्रयास कर राजीनामे केलिए प्रेरित करेंगी। इसके बाद भी मामला नहीं सुलझता है तो पक्षकार कानूनी कार्रवाई करने के लिए स्वतंत्र होंगे।
अजमेर के जयसिंह की कब खुलेगी किस्मत…

अजमेर. पाकिस्तान की जेल में बंद अजमेर का जयसिंह के परिवार व पते का अब तक सुराग नहीं लग सका है। हालांकि जिला पुलिस की विशेष शाखा और परामर्श केन्द्र ने उच्चायोग से मिले नाम और पते की तस्दीक की पुन: प्रयास किए मगर सफलता नहीं मिली।
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