अजमेर

डूबते सूर्य को देंगे अघ्र्य, करेंगे छठ मैया का गुणगान

छठ पूजा-खरना के बाद 36 घंटे का निर्जला निराहार व्रत शुरूकृत्रिम जलाशय-कुंड तैयार

अजमेरNov 09, 2021 / 10:54 pm

Narendra

लोकआस्था के महापर्व छठ पूजा की चहुंओर धूम है। खरना के बाद 36 घंटे का निर्जला निराहार व्रत शुरू हो चुका है। निर्जला रह कर समाजजनों ने खीर रोटी से पूजा कर खरना किया। खरना में केला के पत्ते पर कच्चा चावल से बनी खीर, सूखी रोटी, केला, घी का दीपक जलाकर, अगरबत्ती, तुलसी के पत्ते आदि रखकर भगवान सूर्य देव व छठी मइया को भोग लगाया गया। उसके बाद व्रती ने प्रसाद ग्रहण किए।
छठ पूजा महोत्सव के लिए कृत्रिम जलाशय-कुंड तैयार किए जा चुके हैं। बुधवार शाम डूबते सूर्य को और गुरुवार सुबह उगते सूर्य को अघ्र्य देकर छठी मैया से सुख समृद्धि की कामना की जाएगी। अघ्र्य देने के बाद महागंगा आरती होगी, शाम को बांस की टोकरी में फल, ठेकुआ, चावल के लड्डू आदि से अघ्र्य का सूप सजाया जाएगा। व्रती परिवार के साथ सूर्य को अघ्र्य देंगे। सूर्य देव की उपासना के बाद रात्रि में छठी माता के गीत गाए गाने के साथ ही व्रत की कथा सुनी जाएगी।
स्वच्छता पर पूरा ध्यान
खरना के साथ ही पूरे अनुष्ठान व्रत में सफाई और स्वच्छता का सावधानी से पालन किया जाता है। पहले दिन जहां तन की स्वच्छता की गई थी, दूसरे दिन मन की स्वच्छता पर बल दिया जाता है। इसके बाद ही छठ एवं सूर्य उपासना छठी मैया की पूजन होती है।
इस बीच बदलते वक्त के साथ छठ पूजा भी हाईटेक होती जा रही है। आधुनिक दौर में छठ पूजा में पीतल के सूप और दउरा की मांग बढ़ी है। बांस से सामान बनाने वाले कारीगर थोड़े मायूस हैं।
वैज्ञानिक और ज्योतिषीय दृष्टि से भी है बड़ा महत्व
डाला छठ को सूर्य षष्ठी भी कहा जाता है, इसका वैज्ञानिक और ज्योतिषीय दृष्टि से भी बड़ा महत्व है। सूर्य से निकलने वाली किरणें अघ्र्य के जलधार से छन कर आती हैं जिसका सकारात्मक प्रभाव शरीर पर पड़ता है। सनातन हिन्दू धर्म में सूर्य की उपासना का विशेष महत्व है। सूर्य के प्रकाश में कई रोगों को नष्ट करने की क्षमता पाई जाती है। सूर्य के शुभ प्रभाव से व्यक्ति को आरोग्य, तेज और आत्मविश्वास की प्राप्ति होती है। छठ पूजा पर सूर्य देव और छठी माता के पूजन से व्यक्ति को संतान, सुख और मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है।
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