एसपीसी-जीसीए
1836 में स्थापित एसपीसी-जीसीए में वर्ष 1955 के बाद छात्राओं और महिला शिक्षकों की संख्या बढ़ी। वर्ष 2000 तक कॉलेज में 2 हजार छात्राएं और 40-50 महिला शिक्षक थीं। वहीं पुरुष शिक्षक 150 और छात्रों की संख्या चार हजार थी। मौजूदा वक्त 176 शिक्षक हैं। इनमें असिसटेंट प्रोफेसर और एसोसिएट प्रोफेसर शामिल हैं। स्टाफ में 110 महिला शिक्षक और पुरुष महज 76 हैं। 188 साल में डॉ. प्रतिभा यादव दूसरी महिला हैं जो प्राचार्य पद तक पहुंची हैं।
1836 में स्थापित एसपीसी-जीसीए में वर्ष 1955 के बाद छात्राओं और महिला शिक्षकों की संख्या बढ़ी। वर्ष 2000 तक कॉलेज में 2 हजार छात्राएं और 40-50 महिला शिक्षक थीं। वहीं पुरुष शिक्षक 150 और छात्रों की संख्या चार हजार थी। मौजूदा वक्त 176 शिक्षक हैं। इनमें असिसटेंट प्रोफेसर और एसोसिएट प्रोफेसर शामिल हैं। स्टाफ में 110 महिला शिक्षक और पुरुष महज 76 हैं। 188 साल में डॉ. प्रतिभा यादव दूसरी महिला हैं जो प्राचार्य पद तक पहुंची हैं।
बड़ल्या इंजीनियरिंग कॉलेज 1996-97 में स्थापित बड़ल्या इंजीनियरिंग कॉलेज में पिछले 24 साल से पुरुष ही प्राचार्य बन रहे थे। बीती फरवरी में तकनीकी शिक्षा विभाग ने डॉ. रेखा मेहरा को प्राचार्य पद सौंपा है। यहां 2500 से ज्यादा विद्यार्थी अध्ययनरत और 250 से ज्यादा शिक्षक, कर्मचारी कार्यरत हैं। डॉ. मेहरा प्रशासनिक और शैक्षिक कार्य को बखूबी संभाले हुए है।
संभागीय आयुक्त
मौजूदा संभागीय आयुक्त डॉ. वीणा प्रधान भी प्रशासनिक कार्य कुशलता से संभाल रही हैं। उनसे पहले यहां डॉ. अलका काला, किरण सोनी गुप्ता, डॉ. आरुषि मलिक अजमेर की संभागीय आयुक्त रह चुकी हैं। डॉ. प्रधान के अधीन अजमेर, नागौर, टोंक और भीलवाड़ा जिले आते हैं। वे चारों जिलों के कलक्टर, एसपी और अन्य अधिकारियों से समन्वयन के साथ कामकाज कर रही हैं।
मौजूदा संभागीय आयुक्त डॉ. वीणा प्रधान भी प्रशासनिक कार्य कुशलता से संभाल रही हैं। उनसे पहले यहां डॉ. अलका काला, किरण सोनी गुप्ता, डॉ. आरुषि मलिक अजमेर की संभागीय आयुक्त रह चुकी हैं। डॉ. प्रधान के अधीन अजमेर, नागौर, टोंक और भीलवाड़ा जिले आते हैं। वे चारों जिलों के कलक्टर, एसपी और अन्य अधिकारियों से समन्वयन के साथ कामकाज कर रही हैं।
सेंट्रल जेल अधीक्षक
ब्रिटिशकाल में बनी सेंट्रल जेल राजस्थान और देश में विख्यात है। यहां कभी डकैतों सहित कई खूंखार आतंकी कैद में रहे हैं। मौजूदा वक्त जेल की कमान प्रीति चौधरी के पास है। इसके अलावा वे हाई सिक्योरिटी जेल की कमान भी सम्भाले हुए है। इस जेल में लॉरेंस विश्नोई, पपला गुर्जर जैसे कुख्यात गैंगस्टर बंद हैं।
ब्रिटिशकाल में बनी सेंट्रल जेल राजस्थान और देश में विख्यात है। यहां कभी डकैतों सहित कई खूंखार आतंकी कैद में रहे हैं। मौजूदा वक्त जेल की कमान प्रीति चौधरी के पास है। इसके अलावा वे हाई सिक्योरिटी जेल की कमान भी सम्भाले हुए है। इस जेल में लॉरेंस विश्नोई, पपला गुर्जर जैसे कुख्यात गैंगस्टर बंद हैं।
नगर निगम महापौर
नगर निगम की कमान महापौर बृजलता हाड़ा के पास है। वे निगम में महापौर बनने वाली पहली महिला हैं। इससे पहले नगर परिषद में अनिता भदेल (विधायक), सरोज जाटव सभापति रहीं थी। हाड़ा के नेतृत्व में 80 पार्षद, अधिकारी, कर्मचारियों का दस्ता है। उन पर शहर में मास्टर प्लान को लागू करने सहित राजस्व बढ़ोतरी, नए संसाधनों को विकसित करने की महती जिम्मेदारी है।
नगर निगम की कमान महापौर बृजलता हाड़ा के पास है। वे निगम में महापौर बनने वाली पहली महिला हैं। इससे पहले नगर परिषद में अनिता भदेल (विधायक), सरोज जाटव सभापति रहीं थी। हाड़ा के नेतृत्व में 80 पार्षद, अधिकारी, कर्मचारियों का दस्ता है। उन पर शहर में मास्टर प्लान को लागू करने सहित राजस्व बढ़ोतरी, नए संसाधनों को विकसित करने की महती जिम्मेदारी है।
जिला प्रमुख
जिला परिषद की कमान जिला प्रमुख सुशील कंवर पलाड़ा के पास हैं। वे दूसरी मर्तबा पदासीन हुई हैं। सुशील कंवर 2013 से 2018 तक मसूदा की विधायक भी रही हैं। जिला परिषद के अधीन पंचायती राज, कृषि, शिक्षा सहित प्रमुख महकमे आते हैं। गांवों की विकास योजनाओं में अहम भागीदारी रहती है। पलाड़ा ने पिछले कार्यकाल में भी इन्हें बखूबी अंजाम दिया था।
जिला परिषद की कमान जिला प्रमुख सुशील कंवर पलाड़ा के पास हैं। वे दूसरी मर्तबा पदासीन हुई हैं। सुशील कंवर 2013 से 2018 तक मसूदा की विधायक भी रही हैं। जिला परिषद के अधीन पंचायती राज, कृषि, शिक्षा सहित प्रमुख महकमे आते हैं। गांवों की विकास योजनाओं में अहम भागीदारी रहती है। पलाड़ा ने पिछले कार्यकाल में भी इन्हें बखूबी अंजाम दिया था।