scriptलकड़ी के ठूंठ जलाकर काटते हैं हाड़ कंपाती सर्द रात! | Wooden stubbles are cut by burning the chilly cold night | Patrika News

लकड़ी के ठूंठ जलाकर काटते हैं हाड़ कंपाती सर्द रात!

locationअजमेरPublished: Jan 16, 2022 02:41:29 am

Submitted by:

manish Singh

ह्युमन स्टोरी-जब सब घरों में आराम से सोते हैं तब जागते हैं शहर की गश्त में तैनात हमारे जवान
 

लकड़ी के ठूंठ जलाकर काटते हैं हाड़ कंपाती सर्द रात!

लकड़ी के ठूंठ जलाकर काटते हैं हाड़ कंपाती सर्द रात!

मनीष कुमार सिंह
अजमेर.

शहर में कोी वारदात हो या ट्रैफिक जाम। हम पुलिस को कोसने में कोई कसर नहीं छोड़ते। मगर जब आप-हम ठण्डी रात में घरों में रजाई-कम्बल में लिपटकर आराम से सोते हैं तब पुलिस के जवान सड़क-चौराहों पर गश्त में होते हैं। हाड़ कंपाने देने वाली ठण्डी रात में खुली सड़क पर उनको सहारा है तो कुछ अदद लकड़ी के टूकड़े और उसके जलते अलाव का।
कड़ाके की ठंड में नाकाफी अलाव

शुक्रवार सुबह 4 बजे कड़ाके की ठण्ड में वैशालीनगर माकड़वाली तिराहे पर क्रिश्चियनगंज पुलिस थाने के चार जवान ठंड से कसमसाते दिखे। उन्होंने ठंड से बचने के लिए तिराहे के एक कॉर्नर पर अलाव का इंतजाम किया लेकिन खुली जगह पर अलाव की तपिश नाकाफी थी। नजदीक जाकर देखा तो अलाव में टूटी बल्ली का ठूंठ ही पड़ा नजर आया। अलाव में लौ जलाए रखने को थोड़ी-थोड़ी देर पर दुपहिया वाहन से निकला काला ईंजन ऑयल डाल रात को ठंड से बचने की मशक्कत करते नजर आए।
बीते एक सप्ताह में प्रदेश में पारा माइनस में पहुंच गया। वहीं अजमेर शहर का तापमान भी 5 डिग्री से नीचे तक पहुंच चुका है। लेकिन कड़ाके की ठण्ड में चोरी की वारदातों पर अंकुश लगाने और जरायमपेशा की धरपकड़ के लिए पुलिस कप्तान विकास शर्मा ने चेतक सिग्मा के साथ शहर के मुख्य चौराहों पर फिक्स नाके लगा रखे हैं। इन मार्गों से गुजरने वाले वाहनों के साथ संदिग्धों पर निगरानी रखी जाती है।
ठण्डी रात में चाय की उम्मीद!

पत्रिका संवाददाता ने सिपाही डूंगरमल, भगवान सिंह, हंसराज, रामेश्वर किलक से बातचीत की। उनका कहना था कि ड्यूटी पर मुस्तैद तो रहना पड़ेगा लेकिन रात में कड़ाके की ठण्ड में अलाव के साथ एक अदद गर्म चाय उनको राहत दे सकती है।
पड़ोसी निभा सकते हैं सरोकार
कोरोना संक्रमण की पहली व दूसरी शहर के स्वयंसेवी संस्थाओं ने जो जज्बा दिखाया था उसे एकबारगी फिर से खुले मन से दिखाने की जरूरत है। बशर्ते उसे शहर के प्रमुख चौराहे के आसपास रहने वाले लोग ही निभाएं और ऐसे में निकट के नाकों पर तैनात जवानों को मानवीयता और सामाजिक सरोकार के तहत ठंडी रातों में चाय तो मुहैया करवा ही सकते हैं। जिससे उनकी ड्यूटी भी जारी रहे और जज्बा भी बना रहे।
loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो