अजमेर में रोडवेज के तीनों डिपो, कार्यशाला हैं। यहां वर्क फ्रॉम होम प्रणाली से काफी फायदे हो सकते हैं। रोडवेज बस स्टैंड पर अजमेर, अजयमेरू और सीबीएस डिपो के दफ्तर हैं। इसके अलावा यहां बसों को ठीक करने के लिए वर्कशॉप हैं। आम दिनों में यहां यात्रियों की लगातार आवाजाही, रोजाना अप-डाउन करने वाले सरकारी कार्मिकों, परिचय पत्र और अन्य कार्ड बनाने के लिए भीड़ रहती थी। अधिकारियों-कर्मचारियों पर मुख्यालय के पत्रों का जवाब देने, पत्रावलियों के निष्पादन, बसों के संचालन, तारीख पेशी, यात्री सुविधाओं की सार-संभाल जैसे कामकाज का बोझ रहता था।
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वर्क फ्रॉम होम से बदल रहा माहौलअत्यधिक दबाव वाले रोडवेज में भी वर्क फ्रॉम होम प्रणाली जारी है। 33 प्रतिशत स्टाफ को ही कार्यालयों में बुलाया जा रहा है। बीते एक महीने से कामकाज में भी बदलाव दिखा है। कई कार्मिक घर से ई-मेल, कंप्यूटर पर मुख्यालय और स्थानीय कार्य कर रहे हैं। अत्यावश्यक कार्य के लिए वॉट्सएप और रोडवेज के एप के माध्यम से उन्हें सूचनाएं प्रेषित भेजी जा रही हैं।
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हो सकते हैं ये फायदे…-रोडवेज कार्यालय में घटेगी पत्रावलियों की पेंडेंसी
-कार्यालय, बस स्टैंड पर घटेगा वाहनों का दबाव
-बढ़ेगी कार्मिकों के कामकाज की दक्षता
-कार्यालय और परिसर में रहेगी स्वच्छता
-बिजली की 35 से 50 प्रतिशत तक बचत
-कार्यालय में लोगों का दबाव होगा कम
रोडवेज के तीनों डिपो में करीब 600 का स्टाफ है। अभी 33 प्रतिशत स्टाफ बुलाया जा रहा है। निश्चित तौर पर बिजली खर्च और परिसर में स्वच्छता में बढ़ोतरी हुई है।
अनिल पारीक, मुख्यप्रबंधक सीबीएस डिपो