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World Environment Day : स्मार्ट सिटी की आबोहवा में घुल रहा जहर…

locationअजमेरPublished: Jun 05, 2019 12:59:08 pm

Submitted by:

Preeti

धुआं बिगाड़ रहा अजमेरवासियों की सेहत : स्मार्ट सिटी में नियमित नहीं नापा जाता है प्रदूषण स्तर, 9.50 लाख तक पहुंची वाहनों की संख्या

World Environment Day

World Environment Day : स्मार्ट सिटी की आबोहवा में घुल रहा जहर…

धुआं बिगाड़ रहा अजमेरवासियों की सेहत : स्मार्ट सिटी में नियमित नहीं नापा जाता है प्रदूषण स्तर, 9.50 लाख तक पहुंची वाहनों की संख्या

अजमेर. पेट्रोल-डीजल सहित ईंट भट्टों से उत्सर्जित धुआं शहर की आबोहवा में जहर घोल रहा है। दिल्ली और जयपुर की तरह अजमेर भी वाहनों की रेलम-पेल वाला शहर बन रहा है। अव्वल तो शहर जहरीले धुएं की चपेट में है। तिस पर बड़े शहरों की तरह प्रदूषण स्तर की नियमित जांच नहीं हो रही। न राज्य प्रदूषण नियंत्रण मंडल न सरकार और प्रशासन को इससे सरोकार है। ऐसा तब है, जबकि संयुक्त राष्ट्र ने 2019 के पर्यावरण की थीम ‘बीट एयर पॉल्यूशन’ दी है।

जिस तरह दिल्ली में स्मॉग का स्तर बढऩे से प्रदूषण खतरनाक हो चुका है। उसी तरह अजमेर भी धीरे-धीरे प्रदूषित शहर बनने की तरफ अग्रसर है। यहां दोपहिया, तिपहिया, चौपहिया वाहनों की संख्या लगातार बढ़ रही है। इनसे निकलने वाला जहरीला धुआं शहर की हरियाली और लोगों की सेहत बिगाड़ रहा है। शहर में मदार गेट, स्टेशन रोड, आगरा गेट, वैशाली नगर-आदर्श नगर, श्रीनगर रोड पर सर्वाधिक यातायात का दबाव रहता है। हैरत की बात है, कि जयपुर, मुंबई और अन्य शहरों में जगह-जगह प्रदूषण मापने के स्वचलित यंत्र लग चुके हैं। पेट्रोल-डीजल पम्प पर प्रदूषण की जांच होती है। दिल्ली में तो सम-विषम फार्मूले पर वाहन चलाने का प्रयोग हो चुका है। अजमेर में जहरीले धुएं के मापन और प्रदूषण रोकथाम के कोई उपाय नहीं किए जा रहे हैं।

नियमित नहीं नापते प्रदूषण स्तर

अजमेर संभागीय मुख्यालय है। इसके बावजूद सरकार ने किशनगढ़ में प्रदूषण मंडल कार्यालय की स्थापना की है। मंडल कार्यालय सिर्फ मार्बल औद्योगिक इकाइयों का प्रदूषण स्तर नापता है। अजमेर में प्रदूषण का नियमित मापन के कोई इंतजाम नहीं है। कहने को जिला सैनिक कल्याण बोर्ड के निकट डिस्पले बोर्ड और मशीन लगा रखी है। लेकिन प्रशासन और शहरवासी इससे अन्जान है। शहर में 2 इंजीनियरिंग कॉलेज, महर्षि दयानंद सरस्वती विश्वविद्यालय, पर्यावरण संरक्षण से संबंधित संस्थाएं कार्यरत हैं। संस्थाओं के स्तर पर भी नियमित प्रदूषण मापन की पहल नहीं हो रही है।

बेतहाशा बढ़ रहे वाहन

शहर में वाहनों की संख्या साल दर साल बढ़ रही है। वर्ष 2000-01 में अजमेर में परिवहन से पंजीकृत वाहनों की संख्या 2.5 लाख के आसपास थी। बीते 18 साल में यह तादाद बढकऱ 8 लाख तक पहुंच गई है। यदि इसमें मई 2019 तक पंजीकृत दोपहिया, तिपहिया, चौपहिया वाहनों की संख्या जोड़ें तो संख्या 9.50 लाख तक पहुंच सकती है।
नाम के साइलेंट जोन
नियमानुसार अस्पतालों के आसपास साइलेंट जोन होता है। लेकिन जेएलएन अस्पताल सहित सेटेलाइट और अन्य अस्पतालों के बाहर वाहनों की रेलम-पेल रहती है। कई जगह तो समारोह स्थल हैं। डीजे और अन्य माध्यमों से ध्वनि प्रदूषण किया जाता है।
वन क्षेत्र बढऩे का दावा
केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्रालय की द्वि-वार्षिक रिपोर्ट की मानें तो अजमेर जिले के वन क्षेत्र में 13 वर्ग किलोमीटर की बढ़ोतरी हुई है। इसके अनुसार देश में 2015 में कुल वन क्षेत्र 7.01 लाख वर्ग किलोमीटर था। वहीं यह 2017 में बढकऱ 7.08 वर्ग किलोमीटर हो गया है। रिपोर्ट के अनुसार अजमेर जिले में भी 13 वर्ग किलोमीटर वन क्षेत्र बढ़ा है।
यह इलाके हैं प्रदूषण की चपेट में

(कार्बन मोनो ऑक्साइड की मात्रा)

मदार गेट-स्टेशन रोड क्षेत्र : 250 से 350
आगरा गेट-जयपुर रोड : 150-200

आदर्श नगर-परबतपुरा क्षेत्र : 250-350
वैशाली नगर-पुष्कर रोड-लोहागल क्षेत्र : 180-265
(शुद्धता 50 से 100 पीपीएम)

प्रदूषण में इनका स्तर भी खराब
ध्वनि एवं प्रकाश प्रदूषण-60 प्रतिशत

वायु में अशुद्धता-59 प्रतिशत
पानी में अशुद्धता-58 प्रतिशत

(शुद्धता का मानक 45 से 50 प्रतिशत तक)
इनका कहना है
यह सही है, कि अजमेर में प्रदूषण का नियमित मापन नहीं होता है। वैसे यह जिम्मेदारी राज्य प्रदूषण मंडल की है। स्मार्ट सिटी में प्रदूषण मापी यंत्र भी नहीं लगे हैं। हम जरूर विद्यार्थियों को कभी-कभी डिजर्टेशन की आवश्यकता के लिए यह कार्य कराते हैं।
-प्रो. प्रवीण माथुर, पर्यावरण विभागाध्यक्ष मदस विवि अजमेर

हमारा कार्य औद्योगिक इकाइयों के प्रदूषण से जुड़ा है। वाहनों से जुड़े प्रदूषण का मापन मुख्यालय की दूसरी विंग करती है।

-संजय कोठारी, क्षेत्रीय अधिकारी राज्य प्रदूषण मंडल किशनगढ़

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