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राजस्व की आड़ में तम्बाकू से मौत बांट रही सरकार!

locationअजमेरPublished: May 31, 2019 12:49:17 pm

Submitted by:

Preeti

रेवेन्यू से ज्यादा तम्बाकूजनित बीमारियों के इलाज पर हो रहा हर साल खर्च, देश के 1061 चिकित्सक जता चुके हैं तम्बाकू से महामारी की आशंका

world no Tobacco day 2019

राजस्व की आड़ में तम्बाकू से मौत बांट रही सरकार!

चन्द्रप्रकाश जोशी. अजमेर.

राजस्व की आड़ में लाखों लोगों के स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है। तम्बाकू से जहां कैंसर, दमा, पक्षाघात जैसी गंभीर बीमारियों से लोग काल के ग्रास बन रहे हैं, वहीं इन बीमारियों के इलाज पर सरकार को मिलने वाले राजस्व से कहीं अधिक खर्च करना पड़ रहा है।
राजस्थान में 14 लाख वयस्क सिगरेट तो 58 लाख वयस्क (लोग) बीड़ी का सेवन करते हैं। वहीं 15 वर्ष आयु वर्ग प्लस के युवाओं में 2.8 प्रतिशत सिगरेट का चलन तेजी पर है। तम्बाकू पर नियंत्रण के लिए चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग की ओर से कोटपा अधिनियम सरकार की ओर से लागू करने के बावजूद तम्बाकू का उपयोग कम नहीं हुआ है। बचपन में ही तम्बाकू के उपयोग पर भी रोक नहीं है। स्कूल, कॉलेजों, चिकित्सालयों के बाहर धडल्ले से तम्बाकू उत्पाद बिना रोक टोक बेचे जा रहे हैं। तम्बाकू बच्चों का जीवन बर्बाद कर रहा है। राजस्व की आड़ एवं भ्रष्टाचार की वजह से तम्बाकू बंद नहीं हो पा रहा है। ई-सिगरेट एवं हुक्का भी युवाओं की पसंद बन रहा है। समय रहते इन पर प्रतिबंध भी आवश्यक है।
जीएटी सर्वे की रिपोर्ट में खुलासा

– ग्लोबल एडल्ट टॉबेको सर्वे (जीएटीएस) के मुताबिक भारत में प्रतिवर्ष 13.5 लाख लोगों की मौत तम्बाकू से संबंधित बीमारियों से हो रही है।
– 26,7 करोड़ तम्बाकू यूजर हैं भारत में (28.7 प्रतिशत)।
– तम्बाकू उपयोग के बाद इलाज पर भारत में 104,500 करोड़ रुपए खर्च हो रहे हैं, जबकि राजस्व 17,000 करोड़ रुपए ही है।
अब एडवांस स्टेज का कैंसर, इलाज पर लाखों खर्च

तम्बाकू सेवन से कैंसर रोग तेजी से बढ़ रहा है, मुंह, गले का कैंसर सबसे अधिक है। अब कैंसर भी 20 से 25 प्रतिशत तो एडवांस स्टेज का कैंसर आ रहा है, जिसमें किसी व्यक्ति को बचाना मुश्किल है। तम्बाकू से पक्षाघात, नपुसंकता की बीमारी भी बढ़ रही है।
देश के 1061 चिकित्सक जता चुके हैं तम्बाकू से महामारी
इलेक्ट्रॉनिक निकोटीन डिलीवरी सिस्टम (ईएनडीएस) पर प्रतिबंध लगाने के लिए राजस्थान के 158 चिकित्सक (जोधपुर एम्स) सहित देशभर के 1061 चिकित्सकों ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को पत्र लिखकर ई-सिगरेट व ई-हुक्का पर प्रतिबंध की मांग की थी। उन्होंने लिखा कि व्यापार और उद्योग संगठन देश में (ईएनडीएस) ई-सिगरेट को बढ़ावा दे रहे हैं। ईएनडीएस युवाओं की नसों में जहर घोलते हुए महामारी की तरह बढ़ रहा है।
बाल से लेकर नाखून तक कैंसर

अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) जोधपुर के ईएनटी विभागाध्यक्ष डॉ. अमित गोयल ने खुलासा किया कि तम्बाकू के सेवन से होने वाला कैंसर न केवल गले व मुंह का बल्कि बाल से लेकर नाखून तक फैल रहा है। एडवांस स्टेज का 20 से 25 प्रतिशत कैंसर फैल रहा है। 50 हजार के रोजगार के लिए 70 हजार मौतें हो रही हैं। यह कहां का औचित्य है, तम्बाकू बैन होना चाहिए।
यह है भारत की स्थिति

10.7 प्रतिशत (99.5 मिलियन) वयस्क वर्तमान में धूम्रपान करते हैं।
19 प्रतिशत पुरुष

2 प्रतिशत महिला
38.7 प्रतिशत वयस्क घर पर सैकण्ड हैंड स्मॉक करते हैं।

30.2 प्रतिशत वयस्क कार्यस्थल पर धूम्रपान करते हैं।
5.3 प्रतिशत सरकारी भवनों, कार्यस्थलों पर
5.3 प्रतिशत स्वास्थ्य देखभाल सुविधाओं में
7.4 प्रतिशत सार्वजनिक परिवहन में धूम्रपान करते हैं।

(ग्लोबल एडल्ट टोबेको सर्वे के अनुसार)

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