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अलीगढ़ के चर्चित जहरीली शराब कांड में 26 अधिकारी और कर्मचारी पाए गए दोषी, 106 लोगों ने गंवाई थी जान

locationअलीगढ़Published: Apr 03, 2022 01:21:02 pm

Submitted by:

lokesh verma

उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ जिले में मई 2021 में हुए चर्चित जहरीली शराब कांड में हुई 106 लोगों की मौत को लेकर मजिस्ट्रेट जांच पूरी हो गई है। इस जांच में आबकारी विभाग के 26 अधिकारी और कर्मचारियों को दोषी पाया गया है। जिलाधिकारी सेल्वा कुमारी जे ने जांच रिपोर्ट को शासन के पास भेज दिया है।

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अलीगढ़ में जहरीली शराब कांड की मजिस्ट्रेट जांच आबकारी विभाग के 26 अधिकारी और कर्मचारियों को दोषी पाया गया है। मई 2021 में 106 लोगों की जहरीली शराब पीने के बाद दर्दनाक मौत हुई थी। इस दौरान पुलिस और जिला प्रशासन ने शराब माफियाओं के खिलाफ बड़ी कार्रवाई करते हुए जहरीली शराब के मास्टरमाइंड ऋषि शर्मा और उसके साथी अनिल को रासुका के तहत गिरफ्तार करते हुए जेल भेज दिया था। वहीं जेल में बंद शराब माफिया ऋषि शर्मा की पत्नी रेनू शर्मा की मौत हो गई थी। जबकि शराब कांड के माफिया सहित 85 लोग जेल में बंद हैं। जिलाधिकारी सेल्वा कुमारी जे ने शराब कांड की मजिस्ट्रेट जांच रिपोर्ट को शासन को भेज दिया है। बता दें कि तत्कालीन डीएम चंद्र भूषण सिंह ने 15 दिन के भीतर जांच आख्या मांगी थी।
उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ के थाना लोधा क्षेत्र के गांव करसुआ से जहरीली शराब कांड शुरू हुआ था। इसके बाद लोगों की मौतों का सिलसिला एक के बाद एक कई थाना क्षेत्रों के विभिन्न गांव में फैल गया। जहरीली शराब से मजदूरों की मौत के बाद हर तरफ चीख पुकार और हाहाकार मचा हुआ था। इस जहरीली शराब कांड के गूंज कुछ ही घंटे में शासन स्तर पर पहुंच गई थी। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सख्त कार्रवाई करने के निर्देश दिए थे। इसके बाद डीएम ने पूरे मामले को लेकर मजिस्ट्रेट जांच के आदेश दिए थे। लेकिन, डीएम की मजिस्ट्रेट जांच कई महीनों तक ठंडे बस्ते में पड़ी रही। इस दौरान छोटे-बड़े कई अधिकारियों पर गाज गिरी थी। जबकि जिला प्रशासन ने शराब कांड के मास्टरमाइंड ऋषि शर्मा और उसके साथी अनिल की कोल्ड स्टोर सहित उनकी संपत्तियों को बुलडोजर चलवाते हुए ध्वस्त किया था और कुर्क कर जब्त करते हुए सरकारी संपत्ति घोषित किया था।
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जिला प्रशासन ने जब्त की 100 करोड़ की संपत्ति

जिला प्रशासन ने शराब माफियाओं की संपत्तियों पर कार्यवाही करते हुए करीब 100 करोड़ से ज्यादा की संपत्ति को जब्त किया था। इस दौरान जिला प्रशासन ने सख्त रुख अपनाते हुए शराब के ठेकों पर बुलडोजर चलवा दिया था तो वहीं कई ठेकों को सील कर दिया था। इस दौरान जहरीली शराब से मरने वाले लोगों के शवों का पोस्टमार्टम करने वाले डॉक्टरों ने उनके बिसरे को प्रिजर्व कर आगरा और मेरठ फॉरेंसिक लैब भेजा था। फॉरेंसिक लैब में भेजे गए बिसरे में सभी लोगों की मौत की पुष्टि जहरीली शराब पीने से हुई थी।
जहरीली शराब तैयार कर दुकानों पर की गई सप्लाई

मजिस्ट्रेट जांच के दौरान पता चला है कि जिले की कई शराब की दुकानें ऐसे लोगों के हाथों में थी, जिनके द्वारा डिस्टेलरी से गुड इवनिंग ब्रांड की देशी शराब के साथ-साथ नकली रैपर, बोतल, बार कोड का उपयोग कर नकली शराब तैयार कराई जा रही थी। अवैध शराब फैक्ट्रियों में जहरीली शराब तैयार होने के बाद इसे शराब माफिया की दुकानों पर सप्लाई किया जाता था। जबकि यह मामला पुलिस व आबकारी विभाग के अधिकारियों के संज्ञान में था। आबकारी विभाग के अधिकारी व पुलिस विभाग के अधिकारी व कर्मचारियों ने शासकीय दायित्वों का पालन न करते हुए घोर लापरवाही की है। इसके लिए दोनों विभागों के संबंधित जिम्मेदार प्रथम दृष्टया दोषी पाए गए हैं।
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जिम्मेदार अधिकारी और कर्मचारी सतर्कता बरतते तो नहीं होती घटना

बता दें कि जहरीली शराब कांड में 106 लोगों की मौत के लिए तत्कालीन जिला आबकारी अधिकारी समेत 26 अफसर-कर्मचारी दोषी ठहराए गए हैं। इनमें तत्कालीन तीन आबकारी निरीक्षक, चार प्रभारी निरीक्षक, दो थाना प्रभारी, तीन चौकी इंचार्ज, पांच आबकारी सिपाही व आठ पुलिस के आरक्षी शामिल हैं। इनकी लापरवाही के चलते बिकी जहरीली शराब ने मई में मौत का तांडव दिखाया। जांच अधिकारी ने रिपोर्ट में कहा है कि अगर यह जिम्मेदार अफसर व कर्मचारी सतर्कता बरतते तो यह घटना रोकी जा सकती थी। जिला अधिकारी सेल्वा कुमारी जे ने शासन को जांच रिपोर्ट भेज दी है। इस पर कार्रवाई का निर्णय शासन स्तर से होना है।

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