अन्तर्राष्ट्रीय शोध परियोजना के अन्तर्गत अमेरिका (America), ब्रिटेन (Britain), जर्मनी, स्विटजरलैंड, हार्लेंड, स्पेन, डेनमार्क, स्वीडन, इटली, बेल्जियम, फ्रांस, ब्राजील, रूस, साउथ अफ्रीका, आस्ट्रेलिया, चीन (china), पुर्तगाल, ताईवान, सिंगापुर (Singapore) तथा भारत (India) से सम्बन्ध रखने वाले 50 से अधिक वैज्ञानिकों ने मिट्टी में रहने वाले पादप परजीवी सूत्रकृमि (Plant Parasitic Thread Worms) निमेटोड्स (Nematodes) पर शोध किया, जो पोषण चक्र तथा पौधों के विकास एवं जलवायु में निर्णायक भूमिका निभाते हैं। इस शोध से यह भी ज्ञात होता है कि एक व्यक्ति के मुकाबले मिट्टी में रहने वाले 57 बिलियन निमेटोड्स (Nematodes) हैं तथा 34.7 प्रतिशत जीव अत्यधिक ठन्डे उत्तरी धुव्र के क्षेत्र में रहते हैं। जबकि 24.5 प्रतिशत मध्यम जलवायु वाले क्षेत्रों में तथा 20.5 प्रतिशत जीव उष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में रहते हैं।
इस शोध के सम्बन्ध में प्रो. वसीम अहमद ने बताया कि इस नई खोज से धरती पर जीवन के सन्दर्भ में हमारे दृष्टिकोण में बड़ा परिवर्तन आया है। उन्होंने बताया कि यह शोध जलवायु में होने वाले परिवर्तन के सम्बन्ध में भविष्यवाणी करने में भी सहायक होगा। जिसके लिये न केवल फिजिक्स व केमिस्ट्री के ज्ञान की आवश्यकता होती है बल्कि ग्लोबल कार्बन, पोषण चक्र तथा जीव जन्तुओं के ज्ञान की भी अच्छी जानकारी होनी चाहिये। उन्होंने कहा कि उत्तरी ध्रुव के क्षेत्रों में मिट्टी के कार्बन का अथाह भंडार पाया जाता है तथा मिट्टी के नीचे सूत्रकृमियों की सक्रियता से ज्यादा कार्बन का उत्सर्जन हो सकता है।
प्रोफेसर वसीम अहमद ने कहा कि हमारे शोध से वैज्ञानिकों को कार्बन साइकिलिंग के सम्बन्ध में सटीक भविष्यवाणी करने में सहायता मिलेगी। इसके साथ ही ज़मीन की देखभाल करने वाले विशेषज्ञ भी जैव विविधता के अपक्षरण को रोकने के लिये सही निर्णय ले सकेंगे। उन्होंने कहा कि नीति निर्माताओं को मिट्टी के नीचे पाये जाने वाले जीवन पर अधिक शोध करना होगा, क्योंकि जलवायु के परिवर्तन में इसकी मुख्य भूमिका है।
प्रो. वसीम अहमद ने बताया कि विभिन्न महाद्वीपों से लिये गये मिट्टी के 6759 नमूनों में उपस्थित निमेटोड्स (Nematodes) पर शोध किया गया है, ताकि यह पता लगाया जा सके कि विभिन्न जलवायु मिट्टी तथा वनस्पति क्षेत्र में पाए जाने वाले नेमाटोड के कितने प्रकार विभिन्न जलवायु का प्रतिनिधित्व करते हैं। प्रो. वसीम को एक दर्जन से अधिक देशों में पाए जाने वाले विभिन्न प्रकार के जैविक प्रदेशों से लिये गये निमेटोड्स (Nematodes) पर लगभग 40 वर्ष के अध्ययन का अनुभव है। उन्होंने इस विषय पर कई पुस्तकें तथा 200 से अधिक शोध पत्र विश्व के प्रतिष्ठित साइंस जर्नल्स में प्रकाशित किये हैं।