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सफलता के लिए इन तीन चीजों में निपुणता जरूरी

locationअलीगढ़Published: Aug 20, 2018 09:47:00 am

Submitted by:

Bhanu Pratap

अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी में आयोजित की गई तीन दिवसीय कार्यशाला

AMU teacher

AMU teacher

अलीगढ़। अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी (एएमयू) के सर सैयद हाल साउथ द्वारा ‘‘प्रयोगात्मक परीक्षाओं में अंग्रेजी का प्रयोग’’ विषय पर तीन दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया। इसमें बताया गया कि अंग्रेजी जानना क्यों आवश्यक है। साथ ही छात्रों को जानकारी दी गई कि सफलता के लिए तीन चीजों में निपुणता जरूरी है।
नहीं तो बाद में पछताना पड़ेगा

कार्यक्रम के मुख्य अतिथि यूनानी मेडिसन संकाय के अधिष्ठाता प्रोफेसर खालिद जमा खान ने कहा कि छात्रों को तीन चीजों में निपुणता हासिल करनी चाहिए, जिसके बगैर कोई चारा नहीं हैं। अपने विषय में उत्कृष्टता, अंग्रेजी बोल चाल तथा कम्प्यूटर का प्रयोग। उन्होंने कहा कि वर्तमान युग में यह तीनों सफलता की कुंजी हैं। यदि कोई व्यक्ति इनमें निपुण नहीं है या यहां से यह सब सीख कर नहीं जाता तो वह बाद में पछताएगा। उन्होंने कहा कि जब भाषा में निपुणता और उस पर मजबूत पकड़ होती है, तो विचारों को व्यक्त करना काफी सरल हो जाता है। यदि किसी ने इन तीनों में परिश्रम किया है तो उसका परिश्रम कभी व्यर्थ नहीं जाएगा।
अंग्रेजी भाषा का युग

जजान विश्वविद्यालय सऊदी अरब में अंग्रेजी के प्रोफेसर वली उर रहमान ने कहा कि ज्ञान से अधिक महत्वपूर्ण उसके प्रयोग का तरीका है। यदि किसी छात्र में यह खूबी पैदा हो गयी तो सफलता उसके पांव चूमेगी। उन्होंने कहा कि वर्तमान युग अपनी बात को भलीभांति प्रस्तुत करने का युग है। यह युग अंग्रेजी भाषा का है, क्योंकि अंग्रेजी भाषा अन्तर्राष्ट्रीय भाषा होने के साथ ही व्यापार की भाषा भी है और उसकी अनदेखी नहीं की जा सकती है।
भाषा का सही प्रयोग जानें

कार्यशाला के समापन समारोह की अध्यक्षता करते हुए हाल के प्रवोस्ट डॉ. बदरूद्दुजा खान ने कहा कि एकेडमिक कार्यशाला ज्ञान में वृद्धि के लिये अत्यधिक प्रासंगिक है। इस प्रकार की कार्यशालायें हमें बताती हैं कि वर्तमान परिप्रेक्ष में भाषा का प्रयोग किस प्रकार किया जाए। उन्होंने कहा कि हमारे अधिकतर छात्र प्रयोगात्मक परीक्षाओं में केवल इसलिये असफल हो जाते हैं कि वह भाषा के उचित प्रयोग से परिचित नहीं होते हैं। उनको यह ज्ञात नहीं होता है कि भाषा का प्रयोग किस प्रकार किया जाए। उन्होंने कहा कि ज्ञान हर किसी के पास होता है, क्योंकि ज्ञान पुस्तकों से प्राप्त हो जाता है। छात्र उसकी प्रस्तुति से परिचित नहीं होते हैं। इसीलिये इस कार्यशाला का आयोजन किया गया है ताकि हमारे छात्र आज के परिप्रेक्ष में भाषा के प्रयोग से भलिभांति परिचित हो सकें। डॉ. खान ने प्रसन्नता व्यक्त करते हुए कहा कि अल्प समय में कार्यशाला का आयोजन किया गया, इसके बावजूद बड़ी संख्या में छात्रों ने भाग लिया। उन्होंने घोषणा की कि नवम्बर माह में रिसर्च मैथाडोलोजी पर सात दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया जायेगा।
प्रतिभागियों को प्रमाणपत्र दिए

ज्ञात हो कि तीन दिवसीय कार्यशाला में प्रोफेसर वली उर रहमान ने व्याख्यान प्रस्तुत किये तथा छात्रों को अंग्रेजी भाषा की बारीकियों तथा उसके बेहतर प्रयोग से परिचित कराया। इस अवसर पर लगभग 150 छात्र व छात्राओं को प्रवोस्ट डॉ बदरूद्दुजा खान, यूनानी मेडीसिन संकाय के अधिष्ठाता प्रो. खालिद जमा खान तथा जजान विश्वविद्यालय सऊदी अरब के प्रोफेसर वली उर रहमान ने सर्टीफिकेट दिए।
अंग्रेजी भाषा की प्रासंगिकता

वार्डन डॉ. अब्दुल अजीज ने कार्यक्रम का संचालन करते हुए कहा कि हर छात्र में सॉफ्ट स्किल की महारत होनी चाहिए। वार्तालाप के अन्दाज से ही बहुत सी समस्याओं का समाधान हो जाता है। उन्होंने अंग्रेजी भाषा की प्रासंगिकता पर प्रकाश डाला। कार्यक्रम का शुभारंभ छात्र सईद अहमद के पवित्र कुरान पाठ से हुआ। इसके पश्चात कार्यशाला के विभिन्न प्रतिभागियों ने अपने अनुभव प्रस्तुत किए। सर सैयद हाल साउथ के कल्चरल सेकरेट्री मोहम्मद यासीन ने आभार व्यक्त किया।

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