उन्होंने बताया कि मोबाइल फोन से लोग एक दूसरे से जुड़े होते हैं। वहीं लोग इससे सूचना का आदान प्रदान करते हैं। लेकिन इसके अधिक प्रयोग के कारण मानसिक स्वास्थ्य एवं व्यवहार में प्रतिकूल प्रभाव को नकारा नहीं जा सकता। इसके अत्यधिक प्रभाव के कारण लोगों को समय का ध्यान नहीं रहता। लोग जीवन की आधार मूल जरूरतों को नज़र अन्दाज कर जाते हैं।
प्रो. एसए आज़मी ने कहा कि मोबाइल फोन के आदी लोग नेट में त्रुटि, बैटरी एवं बिजली के आभाव में गुस्सा करने, तनाव एवं अवसाद में आ जाते हैं। जब मोबाइल फोन काम नहीं करता तो एक विशेष प्रकार का भय जिसे नोमोफोबिया तथा घबराहट (एंजाइटी) महसूस होती है जिसे रिंगजा़इटी कहते हैं। ऐसे लोगों में मोबाइल फोन के नये एवं महँगे माॅडल की चाहत बढ़ जाती है। मोबाइल पर समय ज्यादा खर्च करते जाते हैं। मोबाइल के ज्यादा इस्तेमाल करने से थकान, अकेले में रहने की आदत, सम्बन्धों में गिरावट, सामाजिक क्रिया कलापों में कम दिलचस्पी एवं एकाग्रता में कमी भी देखने को मिलती है जिसका उल्लेख भी मानसिक रोग की पत्र-पत्रिकाओं में मिलता है। मोबाइल फोन का औचत्यपूर्ण एवं आवश्यकतानुसार सदुपयोग न सिर्फ ऊर्जा एवं पैसा बचाने में मददगार है बल्कि मानसिक स्वास्थ्य के लिये अच्छा रहेगा।
अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविधालय के एबीके हाई स्कूल द्वारा आयोजित तीन दिवसीय खेल प्रतियोगिता अब्दुल बसीर खाॅन ओपन स्कूल गल्र्स स्पोर्ट् फेस्ट का उद्घाटन आज एबीके हाई स्कूल गल्र्स की नई बिल्डिंग में मुख्य अतिथि ओएसडी एवं स्कूल निदेशालय के निदेशक प्रोफेसर असफर अली खाॅन व मानद् अतिथि फिजिकल हैल्थ एण्ड स्पोर्ट्स एजूकेशन विभाग के चैयरमैन प्रोफेसर ब्रजभूषण सिंह द्वारा गुब्बारे छोड़कर और कबूतर उड़ा कर किया गया।
इस खेल महोत्सव में अलीगढ़ के ग्यारह स्कूलों की टीमें भाग ले रही हैं। मुख्य अतिथि प्रोफेसर असफर अली खाॅन ने कहा कि संपूर्ण व्यक्तित्व विकास के लिए छात्रायें अपनी पढ़ाई के साथ खेलकूद प्रतियोगिताओं में सक्रिय रूप से भागेदारी करें। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय प्रशासन स्कूलों में शिक्षा के साथ इस प्रकार की प्रतियोगिताओं के आयोजन को बढ़ावा देने के लिए भी कार्य कर रहा है।