अलीगढ़

अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय में बंगाली छात्रों ने मनाया बसंत उत्सव

अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय में बसंत उत्सव हर्षोल्लास के साथ मनाया गया। इस कार्यक्रम में अनेक बंगाली छात्रों ने बढ़ चढ़कर हिस्सा लिया।

अलीगढ़Apr 08, 2018 / 07:43 am

Bhanu Pratap

AMu students

अलीगढ़। अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय में बसंत उत्सव हर्षोल्लास के साथ मनाया गया। इस कार्यक्रम में अनेक बंगाली छात्रों ने बढ़ चढ़कर हिस्सा लिया। यह कार्यक्रम मौलाना आजाद लाइब्रेरी के कल्चरल हॉल में आयोजित किया गया। बंगाली छात्राओं ने विश्वविद्यालय में पहली बार बंगाली कविता के साथ नृत्य किया।
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ये हुए कार्यक्रम

छात्रा तमन्ना, महबूब, नजरूल, सनजीदा, मैरी ने कवि गुरु रबिन्द्रनाथ टैगोर के सुमधुर गीत गाकर सबका मन मोह लिया। डॉ. अमीना की महाश्वेता देवी के जीवन पर आधारित स्वरचित कविता पाठ किया। पीएचडी स्कॉलर नासिफ आलम द्वारा लाइव चित्रकारी ने दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर लिया। इसके पश्चात बंगाली छात्राओं ने विश्वविद्यालय में पहली बार बंगाली कविता के साथ नृत्य की शानदार प्रदर्शन किया। यह प्रस्तुति देखकर सब दंग रह गए। मलयालम विभाग के छात्र विविन एनथनी ने मलयालम लोक गीत गाकर समा बांध दिया। कार्यक्रम में प्रो. टीएन सथीशन की किताब को सम्मानित करने के साथ साथ सीनियर बांग्ला छात्रों को उनके काम और सहयोग के लिए सम्मानित किया गया। अंत में वकील बुद्धि नाटक की प्रस्तुति बंगाली छात्र व छात्राओं एवं अनन्या ग्रुप के कलाकारों का मुख्य आकर्षण था। यह नाटक सुकुमार राय द्वारा लिखित कहानी पर आधारित था।
 

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शहर ए अलीगढ़ से हुई शुरुआत

बसंत उत्सव की समाप्ति प्रसिद्ध कवि एवं गजलकार जॉनी फास्टर के गजल शहर ए अलीगढ़ एवं विश्वविद्यालय के तराने के साथ हुई। इस प्रोग्राम के संचालक अलीशा इबकार, ईराम वजीह व ईफाह वर्जीह थे। विभाग अध्यक्ष प्रो. ए नुजुम ने छात्र व छात्राओं का उत्साहवर्धन करते हुए कहा कि बंगाल की सांस्कृतिक कला, साहित्य और प्रतिभा का प्रतिबिंब विभाग के प्रत्येक बंगाली छात्र व छात्राओं में दिखाई देता है। विभाग की प्रोफेसर डॉ. अमना खातून की भी सराहना हुई।
 

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एमजे वारसी उर्दू सलाहाकर परिषद के सदस्य नियुक्त

अलीगढ़। अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के भाषा विज्ञान विभाग में भाषा वैज्ञानिक, रिसर्चर और लेखक एम जे वारसी को साहित्य एकेडमी के उर्दू सलाहकार परिषद का सदस्य मनोनित किया गया है, सलाहकार परिषद्, साहित्य ऐकेडमी का अत्यंत महत्वपूर्ण अंग है, जिसका काम समय-समय पर साहित्य एकेडमी के कार्यों को सुचाररु रूप से चलाने के लिए परामर्श देना है। लगभग 15 वर्षों तक अमेरिका के विभिन्न विश्वविद्यालयों में सफलतापूर्वक पढ़ाने के बाद पिछले साल ही उन्होंने भाषा विज्ञानं विभाग, अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी में अपना योगदान दिया है। अब तक भाषा विज्ञान से जुड़े उनकी अनेक किताबें और शोधपत्र प्रकाशित हो चुके हैं। आजकल उनकी किताब ‘‘मिथिलांचल उर्दू‘‘ की काफी चर्चा हो रही है। 2005 में यूनिवर्सिटी आफ कैलिफार्निया, बर्कले ने भी उन्हें उनके शैक्षणिक शेत्र में उत्कृष्ट योगदान के लिए अनसंग हीरो की उपाधि से सम्मानित किया था।
 
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