इस दौरान किसानों को जल संसाधनों के बारे में बारीकी से बताया गया। किसान की लागत कैसे कम हो और उन्नत तकनीकी के इस्तेमाल से खेती की उपज को कैसे बढ़ाया जाए। किसान की आय बढ़ाने के उपाय भी कार्यक्रम में बताए गए। इस मौके पर कमिश्नर अजय दीप ने कहा कि जिले में प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना का क्रियान्वयन अच्छी तरीके से हो रहा है। आवश्यकता इसके विस्तार की है। इसी उद्देश्य से कार्यक्रम का आयोजन किया जा रहा है। इस आयोजन में दूर-दूर से किसानों को यहां आमंत्रित किया गया है। जिन किसानों ने उन्नत तकनीकी को अपनाया, उन्होंने अपना अनुभव भी किसानों से साझा किया।
प्रति बूंद अधिक उपज करने की योजना में किसानों ने बढ़ चढ़कर भाग लिया। कार्यशाला में बताया गया कि सरकार की तरफ से किसानों को 80 से 90 प्रतिशत अनुदान मिल रहा है। केवल 10 प्रतिशत पूंजी किसानों को अपनी तरफ से लगाना है। किसानों को ड्रिप इरीगेशन की तकनीक को समझना चाहिए। इस मौके पर कमिश्नर अजयदीप सिंह ने कहा कि खेती के मॉडर्न तकनीक को किसान अपनाएं और अनुदान का लाभ लें। वहीं जल संसाधनों को बचाने की बात भी कही। उन्होंने कहा कि जल संसाधन बहुत कीमती है और जीवन के लिए आवश्यक है। कम से कम पानी में अधिक से अधिक उपज लेनी है तो इसके लिए ड्रिप इरीगेशन उपयोगी है। सरकार चाहती है किसानों कि आय दुगनी हो जाए। किसानों की लागत घटनी चाहिए और उपज का सही मूल्य मिलना चाहिए।
किसान वीरेंद्र सिंह ने बताया की ड्रिप इरीगेशन में कम लागत से लाखों की कमाई की जा सकती है। ड्रिप एरिगेशन में कम पानी लगता है, लेबर की बचत होती है, बिजली की बचत होती है, फ़र्टिलाइज़र भी कम लगता है और प्रोडक्शन भी बढ़ जाता है। आमतौर पर एक बीघा में आलू बोने पर 50 कट्टे होते हैं, वहीं ड्रिप इरिगेशन के जरिए वीरेंद्र सिंह ने 70 पैकेट आलू एक बीघे से पैदा किया और मुनाफा कमाया।