फुटपाथ पर ही खिलाया जाता है भोजन
भोजनालय चलाने वाले सुरेश चंद्र ने बताया कि वे पिछले पैंतीस सालों से जरूरतमंदों की मदद की खातिर ये काम कर रहे हैं। पहले यहां एक रुपए में एक रोटी और साथ में सब्जी मिलती थी, लेकिन महंगाई के साथ थोड़े रेट बढ़ गए हैं। आज 20 रुपए में चार रोटियां और सब्जी खाने को दी जाती है। सड़क के किनारे फुटपाथ पर ही बैठाकर भोजन कराया जाता है।
भोजनालय चलाने वाले सुरेश चंद्र ने बताया कि वे पिछले पैंतीस सालों से जरूरतमंदों की मदद की खातिर ये काम कर रहे हैं। पहले यहां एक रुपए में एक रोटी और साथ में सब्जी मिलती थी, लेकिन महंगाई के साथ थोड़े रेट बढ़ गए हैं। आज 20 रुपए में चार रोटियां और सब्जी खाने को दी जाती है। सड़क के किनारे फुटपाथ पर ही बैठाकर भोजन कराया जाता है।
एक रुपये में मिलती थी रोटी व सब्जी
सुरेश कहते हैं कि हमारी कोशिश होती है कि महंगाई के दौर में हमारा काम भी चलता रहे और गरीबों का पेट भी भर जाए। वे बताते हैं कि सामान्य से रेस्टोरेंट पर भी कम से कम पचास रुपये की दाल मिल रही है, ऐसे में ढाई सौ से तीन सौ रुपए की दिहाड़ी कमाने वाला गरीब व्यक्ति भोजन कैसे खा सकता है। लेकिन फुटपाथ पर चल रहे इस भोजनालय में गरीब आदमी मात्र बीस रुपये में चार रोटी खा लेता है।
सुरेश कहते हैं कि हमारी कोशिश होती है कि महंगाई के दौर में हमारा काम भी चलता रहे और गरीबों का पेट भी भर जाए। वे बताते हैं कि सामान्य से रेस्टोरेंट पर भी कम से कम पचास रुपये की दाल मिल रही है, ऐसे में ढाई सौ से तीन सौ रुपए की दिहाड़ी कमाने वाला गरीब व्यक्ति भोजन कैसे खा सकता है। लेकिन फुटपाथ पर चल रहे इस भोजनालय में गरीब आदमी मात्र बीस रुपये में चार रोटी खा लेता है।
होटल में खाने का बिल बनेगा सौ रुपये
अरविंद नामक एक व्यक्ति का कहना है कि वे कई सालों से यहां भोजन खा रहे हैं। अरविंद मजदूरी की काम करते हैं। अरविंद कहते है कि होटल में खाने पर कम से कम सौ रुपए का बिल बनेगा। लेकिन यहां का खाना बढ़िया है। यहां चावल, दाल, कढ़ी, सब्जी के साथ में रोटी खाने को मिलती है। कढ़ी चावल खाने वालों की यहां खासी भीड़ जमा होती है। वहीं चिकन और मछली का स्वाद भी बीस रुपये में मिल जाता है। आराम से जमीन पर बैठकर यहां लोग खाना खाते हैं। गांधी पार्क रोजवेज बस स्टैंड के पास है, ऐसे में इस भोजन से बस में चलने वाले मुसाफिर भी अपनी भूख मिटाते हैं।
अरविंद नामक एक व्यक्ति का कहना है कि वे कई सालों से यहां भोजन खा रहे हैं। अरविंद मजदूरी की काम करते हैं। अरविंद कहते है कि होटल में खाने पर कम से कम सौ रुपए का बिल बनेगा। लेकिन यहां का खाना बढ़िया है। यहां चावल, दाल, कढ़ी, सब्जी के साथ में रोटी खाने को मिलती है। कढ़ी चावल खाने वालों की यहां खासी भीड़ जमा होती है। वहीं चिकन और मछली का स्वाद भी बीस रुपये में मिल जाता है। आराम से जमीन पर बैठकर यहां लोग खाना खाते हैं। गांधी पार्क रोजवेज बस स्टैंड के पास है, ऐसे में इस भोजन से बस में चलने वाले मुसाफिर भी अपनी भूख मिटाते हैं।