यह भी पढ़ें– यमुना एक्सप्रेसवे पर बड़ा हादसा, दो बसें आमने सामने टकराईं, मची चीख पुकार प्रोफेसर आज़मी ने कहा कि प्रत्येक वर्ष फरवरी के दूसरे सोमवार को अन्तर्राष्ट्रीय मिर्गी दिवस मनाया जाता है। जिसका उद्देश्य लोगों में जागरूकता फैलाना है। उन्होंने कहा कि पिछले कुछ सालों के दौरान लोगों में मिर्गी के रोग को लेकर काफी जागरूकता आई है। उन्होंने कहा कि अगर समय पर मरीज को इलाज मिल जाए तो दवा खाने से बीमारी ठीक हो जाती है। उन्होंने बताया कि मिर्गी की व्यापकता की दर लोगों में लगभग 0.2 से 2 प्रतिशत है। मिर्गी में व्यक्ति के मस्तिष्क में विद्युत आवेग का बनना एवं फैलाव में गड़बड़ी के कारण होती है। मिर्गी कई प्रकार की होती है। बहुत सारी मिर्गी के कारण का पता नहीं चलता है। लेकिन बच्चों में ज्यादा तेज बुखार, जवानों में ब्रेन टयूमर, चोट, नशा, इत्यादि तथा बुजुर्गों में मिर्गी ब्रेन में गांठ, नशा, संक्रमण इत्यादि से हो सकती है।
डाक्टर आज़मी ने कहा कि इलाज में देर नहीं करना चाहिए। झाड़ फूंक के चक्कर में न पड़ निकटतम अस्पताल में इलाज हेतु सम्पर्क करना होगा। दवाओं के साथ साथ गैर औषधि बातों पर ध्यान जरूरी है। दवाओं का नियमित सेवन, समय पर सोना, जागना, समय पर भोजन ग्रहण करना। दौरा मिर्गी आने पर उसे दबवाना या उसके मुँह में पानी इत्यादि नहीं डालना चाहिए। होश आने पर ही उसे पानी पिलाना चाहिए। मिर्गी के मरीज को वाहन नहीं चलाना चाहिए। उसे पानी में जाकर, ऊँचाईयों पर जाकर सीढ़ी इत्यादि पर काम नहीं करना चाहिए। मिर्गी रोगियों से दोस्ताना व्यवहार करना चाहिए।