अनुभव किए साझा
डॉ. प्रवीण सारस्वत ने यात्रा के दौरान अपने अनुभवों को बांटते हुए बताया कि तीन हजार किलोमीटर की यात्रा में एक भी दिन होटल में नहीं रुका। सभी शहरों में किसी न किसी परिवार ने खाना खिलाया और अपने घर में रखा। उन्होंने सोशल मीडिया की पहुंच को बताते हुए कहा कि यात्रा से पहले फेसबुक पर लिखा और दूसरे दिन त्रिवेंद्रम एयरपोर्ट पर मेरे नाम की तख्ती लेकर लोग खड़े थे। सब अनजान थे पर सब भाई बन गए। उन्होंने भारत की विशेषता बताते हुए कहा कि देश विविध संस्कृतियों और भाईचारे से भरा है।
डॉ. प्रवीण सारस्वत ने यात्रा के दौरान अपने अनुभवों को बांटते हुए बताया कि तीन हजार किलोमीटर की यात्रा में एक भी दिन होटल में नहीं रुका। सभी शहरों में किसी न किसी परिवार ने खाना खिलाया और अपने घर में रखा। उन्होंने सोशल मीडिया की पहुंच को बताते हुए कहा कि यात्रा से पहले फेसबुक पर लिखा और दूसरे दिन त्रिवेंद्रम एयरपोर्ट पर मेरे नाम की तख्ती लेकर लोग खड़े थे। सब अनजान थे पर सब भाई बन गए। उन्होंने भारत की विशेषता बताते हुए कहा कि देश विविध संस्कृतियों और भाईचारे से भरा है।
बताया मिशन
अपने मिशन को लेकर बताया कि 20 साल बाद साइकिल चलाई थी, इसलिए दिक्कत हुई। कई बार आत्मविश्वास डगमगाया पर जुनून था। इसलिए यात्रा पर निकल पड़ा। उन्होंने बताया कि यात्रा के दौरान तमाम लोगों से दिलों का रिश्ता बना। जानकारी देते हुए डॉ. प्रवीण ने कहा कि सोशल मीडिया के माध्यम से पता चला है कि करीब 27 देशों में इस यात्रा को पसंद किया जा रहा हैं। इस यात्रा में केंद्रीय मंत्री नितिन गड़करी, सुरेश प्रभू आदि से भी भेंट हुई। अपने अगले मिशन के बारे में जिक्र करते हुए कहा कि इस बार बाहरी देशों में यात्रा करना हैं।
अपने मिशन को लेकर बताया कि 20 साल बाद साइकिल चलाई थी, इसलिए दिक्कत हुई। कई बार आत्मविश्वास डगमगाया पर जुनून था। इसलिए यात्रा पर निकल पड़ा। उन्होंने बताया कि यात्रा के दौरान तमाम लोगों से दिलों का रिश्ता बना। जानकारी देते हुए डॉ. प्रवीण ने कहा कि सोशल मीडिया के माध्यम से पता चला है कि करीब 27 देशों में इस यात्रा को पसंद किया जा रहा हैं। इस यात्रा में केंद्रीय मंत्री नितिन गड़करी, सुरेश प्रभू आदि से भी भेंट हुई। अपने अगले मिशन के बारे में जिक्र करते हुए कहा कि इस बार बाहरी देशों में यात्रा करना हैं।
पर्यावरण पर की चर्चा
डाॅ. सारस्वत ने पर्यावरण पर चर्चा करते हुए कहा कि हर प्रान्त की मिट्टी अपने साथ लेकर वे चल रहे हैं। हर शहर में पौधा लगाया है। भारत की इस मिटृटी से एक पौधा वे राजघाट (दिल्ली) में ओर एक अपने घर में लगायेंगे। डॉ0 सारस्वत ने बताया कि उनकी संस्था अनुभूति इन कार्यों को करने के लिए सदैव प्रयासरत रहती है।
डाॅ. सारस्वत ने पर्यावरण पर चर्चा करते हुए कहा कि हर प्रान्त की मिट्टी अपने साथ लेकर वे चल रहे हैं। हर शहर में पौधा लगाया है। भारत की इस मिटृटी से एक पौधा वे राजघाट (दिल्ली) में ओर एक अपने घर में लगायेंगे। डॉ0 सारस्वत ने बताया कि उनकी संस्था अनुभूति इन कार्यों को करने के लिए सदैव प्रयासरत रहती है।