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अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय से मुसलमानों के लिए बड़ा आह्वान

locationअलीगढ़Published: Dec 02, 2018 07:28:48 am

Submitted by:

Bhanu Pratap

ख्वाजा बन्दा नवाज विश्वविद्यालय गुलबरगा (कर्नाटक) के चांसलर डॉ. सैयद शाह खुसरो हुसैनी ‘मोहसिने मिल्लत’ अवार्ड से सम्मानित

shakeel samdani

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अलीगढ़। सर सैयद अवेयरनेस फोरम के द्वारा अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के पॉलीटेकनिक सभागार में ‘आधुनिक शिक्षा एवं मुसलमान’ विषय पर एक सेमिनार का आयोजन किया गया। इसमें ख्वाजा बन्दा नवाज विश्वविद्यालय गुलबरगा (कर्नाटक) के चांसलर डॉ. सैयद शाह खुसरो हुसैनी को फोरम की ओर से ‘‘मोहसिने मिल्लत’’ का खिताब दिया गया। मुख्य अतिथि खुसरो हुसैनी ने कहा कि शिक्षा मुसलमानों के लिये अत्यधिक जरूरी है। आज का युग केवल उन लोगों को पसंद करता है जो हालात में अपने को ढाल लेते हैं। इस्लाम धर्म सबसे आधुनिक धर्म है और यदि इसको अपनी जिन्दगी में ईमानदारी से ढाला जाये तो सिवाये तरक्की के कुछ नहीं मिल सकता। उन्होंने कहा कि मैं सर सैयद का हमेशा से प्रशंसक रहा हूं और इसी कारण मैंने सर सैयद के शिक्षा के मिशन को बढ़ाने की कोशिश की है। हर किसी ने मुसलमानों का आह्वान किया कि वे उच्च शिक्षा की ओर ध्यान दें।
इस्लाम सहिष्णुता का संदेश देता है

अध्यक्षता करते हुए अमुवि के प्रो- वाइस चांसलर प्रोफेसर हनीफ बेग ने कहा कि आज के युग में आधुनिक शिक्षा की बात करना अति आवश्यक है। सर सैयद ने आधुनिक शिक्षा ग्रहण करने के लिये बहुत कोशिश की और इसी कारण उन्होंने जगह जगह शिक्षण संस्थाएं खोलने की कोशिश की। उन्होंने कहा कि इस्लाम सहिष्णुता का संदेश देता है। अंत में उन्होंने छात्र छात्राओं का आह्वान किया कि वह सिविल सर्विसेज और जुडीशियरी में कामयाबी करने की कोशिश करें।
शिक्षा की ओर ध्यान दें

अमुवि रजिस्ट्रार अब्दुल हमीद (आईपीएस) ने कहा कि मुसलमान आधुनिक शिक्षा में बहुत कम हैं। सच्चर कमेटी ने इस सच्चाई को उजागर किया है कि मुसलमान अनुसूचित जाति और जनजाति से भी पीछे हो गये हैं। हालात केवल उच्च शिक्षा ग्रहण करने से दुरुस्त हो सकते हैं। उन्होंने छात्र-छात्राओं का आह्वान किया कि वह विश्वविद्यालय में अपना समय बर्बाद न करें और शिक्षा की ओर ध्यान दें। उन्होंने सर सैयद अवेयरनेस फोरम के अध्यक्ष प्रोफेसर शकील समदानी को एक कामयाब सेमिनार करने के लिये बधाई दी।
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सर सैयद के अलीगढ़ आन्दोलन को दक्षिण ने अपनाया

फोरम के अध्यक्ष प्रोफेसर शकील समदानी ने कहा कि विश्व में मुसलमान कम से कम छह सौ वर्ष तक शिक्षा, साइंस आदि में आगे रहे और उसका कारण केवल संर्कीण भावनाओं से ऊपर उठकर आधुनिक शिक्षा ग्रहण करना था। उन्होंने कहा कि सर सैयद के अलीगढ़ आन्दोलन को उत्तर भारतीयों के मुकाबले दक्षिण भारत के लोगों ने अपनाया और इसीलिये वह जिन्दगी के हर क्षेत्र में हमसे बेहतर हैं। उन्होंने कहा कि डॉ. सैयद हुसैनी ने 24 शिक्षण संस्थायें कायम की हैं, जिसमें ख्वाजा बन्दा नवाज विश्वविद्यालय अहमियत का हामिल है। उन्होंने कहा कि हुसैनी साहब ने जिस प्रकार कर्नाटक में शिक्षण संस्थायें और गरीबों के लिये कार्य किया है, वह हमारे लिये मशअले राह है। प्रोफेसर समदानी ने कहा कि हमने ‘मोहसिने मिल्लत’ अवार्ड देकर कोई अहसान नहीं किया है, बल्कि उन्होंने इसको कुबूल करके अहसान किया है।
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मुस्लिम महिलाओं की स्थिति दयनीय

अब्दुल्लाह कालेज की प्रधानाचार्या प्रोफेसर नईमा गुलरेज ने कहा कि दक्षिण भारत में शिक्षा के क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्य हो रहा है जबकि उत्तर भारत में बहुत कम हो रहा है। उन्होंने कहा कि पारसी समुदाय संख्या में बहुत कम है परन्तु जीवन के हर क्षेत्र में आगे है और यही कारण है कि वह देश के सर्वोच्च पदों पर बैठे हैं। उन्होंने इस बात पर अफसोस का इजहार किया कि मुस्लिम महिलाओं की स्थिति काफी दयनीय है जिसे सुधारने की जरूरत है।
सर सैयद के मिशन को आगे बढ़ाना होगा

ख्वाजा बन्दा नवाज विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो0 अब्दुल जलील खां पठान ने कहा कि हुसैनी साहब को ‘मोहसिने मिल्लत’ अवार्ड दिया जाना एक सही कदम है जिसके लिये प्रोफेसर समदानी बधाई के पात्र हैं। उन्होंने कहा कि हमें देश में तरक्की करने के लिये सर सैयद के मिशन को आगे बढ़ाना होगा और शिक्षा के साथ गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करनी होगी।
टीपू सुल्तान ब्लॉग

डॉ. मुहीबुल हक ने कहा कि दुनियावी शिक्षा की ओर मुसलमानों ने बहुत देर के बाद ध्यान दिया, जिसके कारण वह पिछड़ गये। उन्होंने कहा कि सर सैयद अवेयरनेस फोरम ने टीपू सुल्तान ब्लॉग बनवा कर इतिहास बनाने का कार्य किया है। इसके लिये इसके राष्ट्रीय अध्यक्ष प्रो0 समदानी बधाई के पात्र हैं।
एक्सिलेंस अवार्ड

इस अवसर पर अन्जुम तबस्सुम, गुलबरगा तथा तारिक हुसैन अमुवि को ‘एक्सिलेंस’ अवार्ड से सम्मानित किया गया। प्रोग्राम का सफल संचालन अमुवि छात्रा आयशा समदानी ने किया। वरिष्ठ छात्र मंसूर इलाही ने धन्यवाद प्रस्ताव किया। मशहूर शायरा रिहाना शाहीन ने अपना कलाम प्रस्तुत किया। डॉ. रिहान अख्तर द्वारा मुख्य अतिथि का सिपासनामा पढ़ा गया। इस अवर पर ख्वाजा बन्दानवाज विश्वविद्यालय के प्रो चांसलर सैयद अली हुसैनी, सैयद हैदर पाशा कादरी, सज्जादा नशीन नीलंगा तथा कर्नाटक से कई अतिथि भी मौजूद थे। अमन आलम ने फोरम के उद्देश्यों पर प्रकार डाला तथा वजाहत जीलानी ने अतिथियों का स्वागत किया। इस प्रोग्राम को कामयाब बनाने में हुसैन खालिद, एडवोकेट शोएब अली, प्रोग्राम इंचार्ज मुताहिर, हस्सानुल हक, फराज, हमजा नोमान मसूद, दानिश इकबाल, पवन वाष्र्णेय, फातिमा समदानी, छात्र नेता अजय सिंह, कोर्ट मेम्बर रॉस मसूद, फैज, प्रशांत, हिमांशु सिंह, फौजिया फातिमा, तलत अंजुम, सारिम अली, अजीम शेरवानी, रजिया चैहान, डा0 हैदर अली, काशिफ आदि का विशेष योगदान रहा।
ये रहे उपस्थित

इस अवर पर प्रो. हुमायुं मुराद, प्रो. खालिद आजम, प्रो. अशहर अन्सारी, प्रो. मुजीब अन्सारी, डॉ. नसीम अहमद खान, प्रो. कामिल, प्रो. शकील, डॉ. वसीम अली, डॉ. अली नवाज जैदी, रबाब खान, डॉ. नासिर अहमद, डॉ. जफर अहमद, डॉ. रहमतुल्लाह, डॉ. रागिब, डॉ. मोहसिन खान, अमुवि छात्र संघ के पूर्व अध्यक्ष खालिद मसूद, डॉ. नजर अब्बास, अमुवि छात्र संघ के सचिव हुजैफा आमिर, अमुवि के कैबिनेट मेम्बरान तथा बड़ी संख्या में शिक्षक एवं छात्र छात्राएं मौजूद थे।
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