इस सम्बन्ध में फोरम फाॅर मुस्लिम स्टडीज एण्ड एलालिसिस (एफएमएसए) के निदेशक डाॅ जसीम मोहम्मद ने कहा कि यरूशलम का महत्व न केवल मुसलमानों और फिलिस्तीनीयों के लिए धार्मिक एवं भावात्मक रूप से है बल्कि इसाइयों के लिए भी है। उन्होंने कहा कि इतिहास गवाह है कि इसरायल ने धीरे धीरे फिलिस्तीनीयों की जमीन पर कब्जा किया है। डाॅ जसीम मोहम्मद ने कहा कि भारत ने सदैव फिलिस्तीनीयों के अधिकार की रक्षा की है तथा फिलिस्तीनीयों और इजराइल के बीच शान्ति स्थापित करने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा की है।
डाॅ जसीम मोहम्मद ने कहा कि अमरीकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प द्वारा येरूशलम को इजराइल की राजधानी घोषित करने तथा यरूशलम में अपने दूतावास स्थापित करने के निर्णय से उक्त क्षेत्र में शान्ति को खतरा उत्पन्न हो गया। उन्होंने कहा प्रधानमन्त्री नरेन्द्र मोदी ने भारत की स्वतन्त्र विदेश नीति का उदाहरण प्रस्तुत करते हुए यरूशलम को इजराइल की राजधानी के रूप मे मान्यता नहीं दी और भारत ने संयुक्त राष्ट्र महासभा मे अमरीका के खिलाफ वोट किया जिसका स्वागत किया जाना चाहिए।
डाॅ जसीम मोहम्मद ने कहा कि प्रधानमन्त्री नरेन्द्र मोदी के कार्यकाल को भारत की फिलीस्तीन पर स्थिति पूर्व की ही तरह है तथा प्रधानमन्त्री नरेन्द्र मोदी फिलस्तीन समस्या को हल करने की चेष्टा कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि अरब देशों को प्रधानमन्त्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में तुरन्त फिलिस्तीन समस्या को हल करने एवं शान्ति बहाली के लिये प्रयास करने चाहिए।