पांच घंटे चली सर्जरी
जमालपुर अलीगढ़ निवासी कफील अहमद सीने में पीड़ा की शिकायत लेकर जवाहर लाल नेहरू मेडिकल कॉलेज की ओ0पी0डी0 नं0 11 में आए थे। उनकी एन्जियोग्राफी में पता चला कि उनके हृदय की रक्त कोशिकाओं में बाधा है। जवाहर लाल नेहरू मेडिकल कॉलेज के कार्डियोथोरासिक सर्जरी विभाग में प्रोफेसर एमएच बेग के नेतृत्व में डॉ. मोहम्मद आजम हसीन, डॉ. ऐहतशाम हुसैन नकवी, डॉ. शुमाइल रब्बानी तथा डॉ. मामून करीमी के दल ने उनकी शल्य चिकित्सा की। इसमें उनके पैरों की रक्त शिराओं का प्रयोग करके हृदय के रक्त की तीन शिराओं में बाईपास की गई। 78 वर्षीय रोगी को उसकी आयु तथा रोग के कारण एनेस्थीसिया देना सरल कार्य नहीं था। यह चुनौती स्वीकार की गई तथा डॉ. नदीम रजा एवं डॉ. काशिफ जमाल के दल ने रोगी को एनेस्थीसिया दिया। यह शल्य चिकित्सा पांच घंटे तक चली।
जमालपुर अलीगढ़ निवासी कफील अहमद सीने में पीड़ा की शिकायत लेकर जवाहर लाल नेहरू मेडिकल कॉलेज की ओ0पी0डी0 नं0 11 में आए थे। उनकी एन्जियोग्राफी में पता चला कि उनके हृदय की रक्त कोशिकाओं में बाधा है। जवाहर लाल नेहरू मेडिकल कॉलेज के कार्डियोथोरासिक सर्जरी विभाग में प्रोफेसर एमएच बेग के नेतृत्व में डॉ. मोहम्मद आजम हसीन, डॉ. ऐहतशाम हुसैन नकवी, डॉ. शुमाइल रब्बानी तथा डॉ. मामून करीमी के दल ने उनकी शल्य चिकित्सा की। इसमें उनके पैरों की रक्त शिराओं का प्रयोग करके हृदय के रक्त की तीन शिराओं में बाईपास की गई। 78 वर्षीय रोगी को उसकी आयु तथा रोग के कारण एनेस्थीसिया देना सरल कार्य नहीं था। यह चुनौती स्वीकार की गई तथा डॉ. नदीम रजा एवं डॉ. काशिफ जमाल के दल ने रोगी को एनेस्थीसिया दिया। यह शल्य चिकित्सा पांच घंटे तक चली।
गर्व का विषय
इस सन्दर्भ में कार्डियोथोरासिक सर्जरी विभाग के अध्यक्ष प्रो. एमएच बेग ने कहा कि जवाहर लाल नेहरू मेडिकल कॉलेज के लिये यह गर्व का विषय है कि यहां ओपन हार्ट सर्जरी सामान्य रूप से होने लगी है। यह अब तक के सबसे वृद्ध रोगी थे, जिनकी शल्य चिकित्सा की गई। विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. मोहम्मद आजम हसीन ने बताया कि बाईपास सर्जरी हृदय को रोक कर तथा धड़कते हुए दिल दोनों पर की जा सकती है, परन्तु उक्त रोगी की चिकित्सीय परिस्थिति को देखते हुए धड़कते हुए हृदय पर बाईपास की गई। डॉ. सैयद एहतेशाम हुसैन नकवी ने बताया कि धड़कते हुए हृदय की बाईपास सर्जरी टेक्निकल रूप से अधिक कठिन होती है। उत्तर प्रदेश में बहुत कम चिकित्सालय हैं, जो इसे कर रहे हैं।
इस सन्दर्भ में कार्डियोथोरासिक सर्जरी विभाग के अध्यक्ष प्रो. एमएच बेग ने कहा कि जवाहर लाल नेहरू मेडिकल कॉलेज के लिये यह गर्व का विषय है कि यहां ओपन हार्ट सर्जरी सामान्य रूप से होने लगी है। यह अब तक के सबसे वृद्ध रोगी थे, जिनकी शल्य चिकित्सा की गई। विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. मोहम्मद आजम हसीन ने बताया कि बाईपास सर्जरी हृदय को रोक कर तथा धड़कते हुए दिल दोनों पर की जा सकती है, परन्तु उक्त रोगी की चिकित्सीय परिस्थिति को देखते हुए धड़कते हुए हृदय पर बाईपास की गई। डॉ. सैयद एहतेशाम हुसैन नकवी ने बताया कि धड़कते हुए हृदय की बाईपास सर्जरी टेक्निकल रूप से अधिक कठिन होती है। उत्तर प्रदेश में बहुत कम चिकित्सालय हैं, जो इसे कर रहे हैं।
प्रसन्नता प्रकट की
मेडिसन संकाय के अधिष्ठाता तथा जवाहर लाल नेहरू मेडिकल कॉलेज के प्रधानाचार्य एवं सीएमएस प्रो. एम अमानुल्ला खान ने चिकित्सकों की उक्त सफलता पर प्रसन्नता व्यक्त की है। उन्होंने शल्य चिकित्सा करने वाले दल को बधाई दी। दूसरी ओर रोगी के परिवारजनों ने उक्त सफल शल्य चिकित्सा पर चिकित्सकों तथा पैरामेडिकल टीम का आभार व्यक्त किया है।
मेडिसन संकाय के अधिष्ठाता तथा जवाहर लाल नेहरू मेडिकल कॉलेज के प्रधानाचार्य एवं सीएमएस प्रो. एम अमानुल्ला खान ने चिकित्सकों की उक्त सफलता पर प्रसन्नता व्यक्त की है। उन्होंने शल्य चिकित्सा करने वाले दल को बधाई दी। दूसरी ओर रोगी के परिवारजनों ने उक्त सफल शल्य चिकित्सा पर चिकित्सकों तथा पैरामेडिकल टीम का आभार व्यक्त किया है।