scriptParyushan parv 2017 चार प्रकार के होते हैं दान | Paryushan parv 2017 teerthdham manglaytan hathras aligarh jain religion hindi news | Patrika News

Paryushan parv 2017 चार प्रकार के होते हैं दान

locationअलीगढ़Published: Sep 02, 2017 08:44:00 pm

पण्डित गुलाब चन्द जैन ने स्वाध्याय में बताया कि दान चार प्रकार का होता है – औषधिदान, शास्त्रदान, अभयदान, आहारदान।

Jain Dharm
अलीगढ़। हाथरस-अलीगढ़ मार्ग स्थित तीर्थधाम मंगलायतन में प्रतिवर्ष दशलक्षणपर्व धूमधाम के साथ मनाया जाता है। इस वर्ष 26 अगस्त से कार्यक्रम शुरू हुए हैं और पांच सितम्बर 2017 तक चलेंगे। शनिवार को हुए कार्यक्रम में विद्वानों ने बताया कि यह संयम के पर्व हैं। इन दिनों में विशेष-पूजन-भक्ति स्वाध्याय के साथ-साथ बार-बार नहीं खाना, नियमपूर्वक खाना खाया जाता है। पण्डित गुलाब चन्द जैन ने दान की महत्ता बताते हुए कहा कि दान चार प्रकार के होते हैं।
सुबह से शाम तक कार्यक्रम

तीर्थधाम मंगलायतन में पण्डित गुलाब चन्द जैन बीना मध्यप्रदेश स्थानीय विद्वान पण्डित अशोक लुहाड़िया, पवन जैन, पण्डित सुधीर शास्त्री, पण्डित गोमटेश शास्त्री एवं मंगलार्थी छात्रों का प्रतिदिन स्वाध्याय-कक्षाओं का लाभ निरन्तर मिल रहा है। प्रातःकाल श्री बाहुबली जिनमन्दिर में जिनेन्द्र भगवान का अभिषेक एवं पूजन विधान का कार्यक्रम भक्तिभाव पूर्वक सम्पन्न हुआ। इसके बाद नौ बजे से गुरुदेवश्री कानजीस्वामी का सी.डी. प्रवचन हुआ। तत्पश्चात् पवन जैन द्वारा मोक्षमार्ग प्रकाशक ग्रंथ के सातवें अध्याय पर निश्चय व्यवहार का सत्यार्थ निरूपण किया गया। दोपहर में आध्यात्मिक पाठ हुआ। इसके बाद पण्डित गुलाब चन्द जैन द्वारा समयसार ग्रंथ की 38वीं गाथा पर स्वाध्याय का कार्यक्रम रहा, जिसमें ज्ञान स्वभावी आत्मा के बारे में बताया गया। सायंकालीन सभा में छह बजे मंगलार्थी मनन जैन, भोपाल द्वारा उत्तम त्याग धर्म पर स्वाध्याय कराया गया। अत्यन्त हर्षोल्लास एवं भक्तिभाव पूर्वक जिनेन्द्र भगवान की भक्ति की गयी।
ज्ञानदान से बड़ा कोई दान नहीं

पण्डित गुलाब चन्द जैन ने स्वाध्याय में बताया कि दान चार प्रकार का होता है – औषधिदान, शास्त्रदान, अभयदान, आहारदान। शास्त्र दान अर्थात् ज्ञानदान से बड़ा कोई दान नहीं होता है, क्योंकि जिस ज्ञान से जीव संसार के मार्ग को छोड़कर मोक्षमार्ग पर लगता है, वह श्रेष्ठतमदान कहलाता है। दान हम सदा उत्कृष्ट वस्तु का करते हैं तथा त्याग हम हमेशा निकृष्ट वस्तु का करते हैं। अतः जो हमें संसार परिभ्रमण कराएष उसका त्याग करके अपनी आत्मा के स्वरूप में लीन होकर सच्चे सुख को प्राप्त करना चाहिए।
ये रहे उपस्थित

कार्यक्रम में पण्डित अशोक लुहाड़िया, पण्डित सुधीर शास्त्री, पण्डित गोमटेश शास्त्री, पवन जैन, स्वप्निल जैन, मुकेश जैन, आशा जैन, प्रिया जैन, पण्डित सतीश जैन, बीना लुहाड़िया, प्यारेलाल जैन, अशोक बजाज, अखिलेश जैन एवं मंगलायतन में रहनेवाले मंगलार्थी छात्र एवं बाहर से पधारे अतिथिगण आदि उपस्थित रहे।
loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो