रोजा रखने का शवाब रमजान में ही ईदगाह जमालपुर मस्जिद के इमाम मुफ़्ती ज़ाहिद क़ासमी ने बताया कि मुस्लिम मर्द और औरतों पर रोज़े फ़र्ज़ होने पर क्या हुक्म है। अगर रोज़े फ़र्ज़ होने के बाद भी नहीं रखते हैं। ये रमज़ान का महीना बड़ी बरकतों वाला अल्लाह के रसूल मोहम्मद सलल्लाहो अलाइही वसल्लम ने शाबान के महीने में एक ख़ुत्बे के दौरान कहा था कि जो शख़्स एक फ़र्ज़ की बराबर काम करता है तो उसको 70 फ़र्ज़ की बराबर इसका शवाब मिलेगा। एक नफ़ील का शवाब एक फ़र्ज़ की बराबर मिलेगा। रमज़ान के रोज़े मर्द और बालिग़ बच्चों पर भी हैं। हज़रत अली रज़ीअल्लाह ताला अन्हू ने फ़रमाया कि रोज़े छोड़ देने की क़ज़ा किया है। रोज़ों के बाद रोज़े की क़ज़ा तो हो जाएगी लेकिन इसका शवाब जो रमज़ान में है, वो नहीं मिल सकता है। हत्ता के पूरी ज़िंदगी रोज़े रखे लेकिन इसका शवाब जो रमज़ान में है वो नहीं मिल सकता। लोगों के लिए हिदायत देते हुए कहा कि रोज़ा सिर्फ़ अल्लाह के लिए है। इसका बदल अल्लाह ही देगा। मुस्लिम मर्द, औरतों और बालिग़ बच्चों को रोज़ा रखना चाहिए। पता नहीं अगले साल रोज़े रखने की तौफ़ीक़ मिल भी पाए या नहीं ।
सादिक हुसैन की जुबानी ठेली लगाने वाले सादिक़ हुसैन ने बताया कि 4 से पांच घंटे इस तपती धूप में रहता हूँ। रोज़े से भी रहता हूँ, लेकिन अहसास नहीं होता ज़रा सा भी। आम दिनों में प्यास लगती रहती है। इस महीने में अल्लाह की फ़ज़ीलत नाज़िल होती है। रोज़ा रखें अल्लाह ताला उनके रोज़े आसान कर देगा। ओवैस आलम ने कहा है कि अल्लाह रब्बुल इज़्ज़त ने हमें रोज़े रखने की तौफ़ीक़ दी। मुस्लिम मर्द और औरतों पर फ़र्ज़ है। कोई परेशानी हो जिसमें जान जाने का ख़तरा हो या किसी सफ़र पर निकले हुए हों, जहां पानी भी मयस्सर न हो सके, तभी रोज़ा छोड़ा जा सकता है।
इनपुटः कौशल शर्मा, अलीगढ़ UP News से जुड़ी Hindi News के अपडेट लगातार हासिल करने के लिए हमें Uttar Pradesh Facebook https://www.facebook.com/patrikauttarpradesh/ पर Like करें, Follow करें Twitter पर .. UP Lok sabha election Result 2019 से जुड़ी ताज़ा तरीन ख़बरों, LIVE अपडेट तथा चुनाव कार्यक्रम के लिए Download करें patrika Hindi News App