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यूपी के राज्यपाल राम नाईक ने अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय को सराहा, जानिए क्या कहा

locationअलीगढ़Published: Mar 07, 2018 02:08:52 pm

65वें दीक्षांत समारोह में एएमयू के छात्रों ने मुल्क के लिए जान देने वाला गीत प्रस्तुत किया।

राज्यपाल राम नाईक
अलीगढ़। भारत के राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद इस समय अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय में हैं। विश्वविद्यालय के 65वें दीक्षांत समारोह में मुख्य अतिथित के रूप में आए हैं। दीक्षांत समारोह के मुख्य मंच तक वे जुलूस के रूप में आए। उनका भारी सत्कार किया गया। समारोह में उत्तर प्रदेश के राज्यपाल राम नाईक ने अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय की खूब सराहना की।

उत्तर प्रदेश के राज्यपाल राम नाईक ने कहा, ‘राष्ट्रपति के साथ मेरा पांचवां दीक्षांत समारोह है। पहला डॉक्टर अंबेडकर विश्वविद्यालय, आगरा में हुआ था। राष्ट्रपति के विचार सबको प्रेरणा देने वाले हैं। नई चेतना प्राप्त होती है। मैं उत्तर प्रदेश की जनता की ओर से राष्ट्रपति का स्वागत करता हूं। देश महान विद्वान और शिक्षाविद सर सैयद अहमद खान ने अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय की कल्पना की थी। उनकी स्मृति को नमन है। अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय की देश में विशिष्ट पहचान है। यहां के छात्रों ने भारत के बाहर भी चमक दिखाई है। हजारों विद्यार्थी यहां से निकले हैं। इनमें हामिद अंसारी, हॉकी के जाजूगर मेजर ध्यानचंद, लाला अमरनाथ यहीं के छात्र थे। ऐसे छात्रों ने विश्वविद्यालय का मान बढ़ाया तथा भारत का सिर ऊंचा किया है। दीक्षांत समारोह छात्रों के जीवन मे महत्वपूर्ण पड़ाव होता है। उनकी पढ़ाई समाप्त हती और जीवन की पढ़ाई प्रारंभ हो जाती है। इतने लोग आपका अभिनंदन करने आते हैं तो यह कार्यक्रम दीवनभर याद रहता है। सभी विद्यार्थियों को जिन्हें डिग्री प्राप्त हुई है, उनका अभिनंदन करता हूं। पदकधारकों का अभिनंदन है। 218 विद्यार्थियों को पदक मिले हैं। छात्र 96 हैं। छात्राएं अधिक हैं। छात्राओं का विशेष अभिनंदन है। अंतराष्ट्रीय महिला दिवस पर पदक मिलना खास बात है। भारत की प्रगति के आंकड़े बोलते हैं और जब आंकडे बोलते हैं तो ज्यादा शब्दों की जरूरत नहीं होती है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने रक्षा मंत्री एक महिला को बना दिया।’

इससे पूर्व अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के छात्रों ने परंपरागत परिधान शेरवानी और अचकन में गीत प्रस्तुत किया।
‘इस मुल्क की खातिर हम ये जान भी दे देंगे।
हो जुल्मों सितम जितने हंस-हंस के उठा लेंगे।
एक बार तो सर को क्या सौ बार कटा देंगे।
अँधियार जहां हो एक शमा जला देंगे।’
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