scriptजहां सवर्णों के बंपर वोट से जीते थे भाजपा के सांसद और विधायक अब किया ऐसा ऐलान कि मची खलबली | upper caste announced to press NOTA button in 2019 Parliament Election | Patrika News

जहां सवर्णों के बंपर वोट से जीते थे भाजपा के सांसद और विधायक अब किया ऐसा ऐलान कि मची खलबली

locationअलीगढ़Published: Jan 18, 2019 02:54:28 pm

गांव वालों का स्टष्ट कहना है कि सुप्रीम कोर्ट के एससी/एसटी एक्ट पर निर्देश के बाद भी सरकार ने जो बदलाव किया है उससे लोगों में आक्रोश है।

Savarn

जहां सवर्णों के बंपर वोट से जीते थे भाजपा के सांसद और विधायक अब किया ऐसा ऐलान कि मची खलबली

अलीगढ़। एक गांव के बाहर लगे बोर्ड पर ये लाइन गांव वालों ने लिखवाई हैं। सरकार की सवर्णों के लिए जो नीतियां हैं उससे गांव वाले संतुष्ट नहीं हैं इसलिए सरकार के विरोध में गांव वालों ने ये लाइन लिखी हैं। गांव वालों का कहना है कि सुप्रीम कोर्ट के एससी/एसटी एक्ट पर निर्देश के बाद भी सरकार ने जो बदलाव किया है उससे लोगों में आक्रोश है। किसी भी पार्टी ने सरकार के इस फैसले का सदन में विरोध नहीं किया। हम इसके खिलाफ हैं, इसलिए हम सभी ने ये निर्णय लिया है कि हम किसी को वोट न देकर नोटा का बटन दबाएंगे। साथ ही ग्रामीणों ने कहा कि सरकार ने जो दस प्रतिशत आरक्षण सवर्णों को देने की बात कही है वो कोई मतलब नहीं रखती क्योंकि जब नौकरी ही नहीं हैं तो आरक्षण का क्या मतलब है। सरकार ने राम मंदिर पर भी हिन्दुओं की आस्था का ख्याल नहीं रखा। हमने बोर्ड इसलिए लगाया है कि कोई भी वोट मांगने न आये।
भाजपा के खाते में है सीट

बता दें कि अलीगढ़ लोकसभा सीट पर इस समय भाजपा के सांसद सतीश गौतम हैं। यहां के बरौली विधान सभा क्षेत्र के गांव कदौली में सवर्ण बिरादरी के लोग रहते हैं। बरौली विधानसभा पर भी भाजपा का कब्ज़ा है, ठाकुर दलवीर सिंह यहां से भाजपा के विधायक हैं और उसका मुख्य कारण है इस क्षेत्र में सवर्णों के करीब डेढ़ लाख वोट हैं। क्योंकि 2019 के चुनावों में नेता अपने-अपने पक्ष में वोट करने की अपील करने यहां अवश्य आएंगे, इसलिए गाँव वालों ने भी उनको जवाब देने की पहले से तैयारी कर रखी है।
नोटा को चुनेंगे

गांव कदौली के लोगों ने आने वाले 2019 के चुनावों को देखते हुए गांव के बाहर एक बोर्ड लगवा दिया है। इस पर उन्होंने साफ़-साफ़ लिखा है कि यह गांव सवर्णों का है कृपया वोट मांग कर शर्मिंदा न हों। कदौली गांव के लोगों का कहना है कि सरकार ने सवर्णों के साथ हमेशा छल किया है। सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के बाद भी सरकार ने एससी/एसटी एक्ट में सवर्णों के खिलाफ बिल बनाया। किसी भी पार्टी ने इसका विरोध नहीं किया। अब दस प्रतिशत आरक्षण भी दिया वो भी सवर्णों के हित में नहीं है क्योंकि जब नौकरी ही नहीं हैं तो आरक्षण का क्या मतलब। गांव वालों ने इसलिए इस बार नोटा का बटन इस्तेमाल करने का फैसला किया है।
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