scriptउर्दू जुबान के कमजोर होने से भारतीयों की ये चीज खराब हो रही | Urdu is not the language of Muslims says AMU professor Shakil samdani | Patrika News

उर्दू जुबान के कमजोर होने से भारतीयों की ये चीज खराब हो रही

locationअलीगढ़Published: Feb 27, 2019 11:15:23 am

अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के वरिष्ठ प्रोफेसर शकील समदानी का छलका दर्द

shakil samdani

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अलीगढ़। अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय में विधि विभाग के वरिष्ठ प्रोफेसर शकील समदानी कमजोर हो रही उर्दू जुबान को लेकर चिंतित हैं। उनका दर्द फरोग़-ए-उर्दू ट्रस्ट की जानिब से आयोजित “एक शाम पासाबाने-ए-उर्दू जुबान और वतन के खातिर कुर्बान होने वालों के नाम” नामक आयोजित कार्यक्रम में छलक उठा। बतौर मुख्य अतिथि उन्होंने एएमयू का प्रतिनिधित्व किया। यह कार्यक्रम ईदगाह गेट, हापुड़ में किया गया।
भारत में पैदा हुई उर्दू

अपने सम्बोधन में प्रोफेसर शकील समदानी ने कहा- उर्दू एक भारतीय भाषा है। इसका जन्म भी भारत में ही हुआ है, यहीं पर यह भाषा जवान भी हुई और इसी देश में यह कमजो़र होती जा रही है। उर्दू जुबान की शीरीनी ओर मिठास से कोई इनकार नहीं कर सकता। प्रोफेसर समदानी ने आगे कहा कि उर्दू भाषा के कमजो़र होने के कारण अधिकांश भारतीयों का उच्चारण खराब हो गया जो कि देश की एक महान क्षति है।
सर सैयद ने उर्दू को आसान बनाया

प्रो. समदानी ने आगे कहा कि उत्तर भारत के मुकाबले दक्षिण भारत में उर्दू के चाहने वालों ने उर्दू की तरक्की के लिए बहुत कार्य किया है। जिसके कारण वहाँ पर उर्दू जानने, पढ़ने और लिखने वालों की संख्या बहुत आधिक है। सर सैयद ने भारत में शिक्षा को प्रचलित करने के लिए उर्दू जुबान का सहारा लिया और उर्दू जुबान को मुश्किल से आसान बनाने का कार्य किया।
उर्दू को मुसलमानों की भाषा समझना गलत

उन्होंने उर्दू शिक्षकों और अनुवादकों से गुजा़रिश की कि वो अपने स्कूलों एवं विभागों में उर्दू को प्रचालित करने का कार्य करें। उन्होंने आगे कहा कि उर्दू को मुसलमानों की भाषा समझना बिल्कुल गलत है, क्योंकि उर्दू की खि़दमत करने में गैर मुस्लिम लेखकों और कवियों का योगदान बहुत अधिक रहा है।
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