भारत में पैदा हुई उर्दू अपने सम्बोधन में प्रोफेसर शकील समदानी ने कहा- उर्दू एक भारतीय भाषा है। इसका जन्म भी भारत में ही हुआ है, यहीं पर यह भाषा जवान भी हुई और इसी देश में यह कमजो़र होती जा रही है। उर्दू जुबान की शीरीनी ओर मिठास से कोई इनकार नहीं कर सकता। प्रोफेसर समदानी ने आगे कहा कि उर्दू भाषा के कमजो़र होने के कारण अधिकांश भारतीयों का उच्चारण खराब हो गया जो कि देश की एक महान क्षति है।
सर सैयद ने उर्दू को आसान बनाया प्रो. समदानी ने आगे कहा कि उत्तर भारत के मुकाबले दक्षिण भारत में उर्दू के चाहने वालों ने उर्दू की तरक्की के लिए बहुत कार्य किया है। जिसके कारण वहाँ पर उर्दू जानने, पढ़ने और लिखने वालों की संख्या बहुत आधिक है। सर सैयद ने भारत में शिक्षा को प्रचलित करने के लिए उर्दू जुबान का सहारा लिया और उर्दू जुबान को मुश्किल से आसान बनाने का कार्य किया।
उर्दू को मुसलमानों की भाषा समझना गलत उन्होंने उर्दू शिक्षकों और अनुवादकों से गुजा़रिश की कि वो अपने स्कूलों एवं विभागों में उर्दू को प्रचालित करने का कार्य करें। उन्होंने आगे कहा कि उर्दू को मुसलमानों की भाषा समझना बिल्कुल गलत है, क्योंकि उर्दू की खि़दमत करने में गैर मुस्लिम लेखकों और कवियों का योगदान बहुत अधिक रहा है।