इतनी कठिन सेवा करने वाले वन कर्मचारियों का वेतनमान अन्य विभागों के कर्मचारियों से न्यूनतम है। वहीं मप्र के वनांचल में पदस्थ कर्मचारियों की वेतन विसंगति वर्षो पुरानी है। इसके संबंध में अपर मुख्य सचिव रंजना चौधरी द्वारा वर्ष 2008 में लिखित समझौता शासन द्वारा लिखित आश्वासन दिए जाने के पश्चात भी वेतन विसंगति को दूर नहीं की गई।
मंत्री के आश्वासन के बाद भी निराकरण नहीं
ज्ञापन में बताया गया कि मप्र में भारतीय प्रशासनिक सेवा, भारतीय पुलिस सेवा एवं भारतीय वन सेवा के वेतनमान एक जैसे है। साथ ही राज्य स्तर पर राज्य स्तरीय प्रशासनिक सेवा, राज्य स्तरीय पुलिस सेवा एवं राज्य स्तरीय वन सेवा के वेतनमान भी समान है, लेकिन राजस्व विभाग एवं पुलिस विभाग की तुलना में सबसे कठिन कार्य करने वाले वन कर्मचारियों का वेतनमान कम होकर चिंताजनक है।
ज्ञापन में बताया गया कि मप्र में भारतीय प्रशासनिक सेवा, भारतीय पुलिस सेवा एवं भारतीय वन सेवा के वेतनमान एक जैसे है। साथ ही राज्य स्तर पर राज्य स्तरीय प्रशासनिक सेवा, राज्य स्तरीय पुलिस सेवा एवं राज्य स्तरीय वन सेवा के वेतनमान भी समान है, लेकिन राजस्व विभाग एवं पुलिस विभाग की तुलना में सबसे कठिन कार्य करने वाले वन कर्मचारियों का वेतनमान कम होकर चिंताजनक है।
ज्ञापन में बताया गया कि पूर्व में वनमंत्री सरताजसिंह द्वारा घोषणा की गई थी। वहीं गौरी शंकर शेजवार ने भी वन कर्मचारियों को वेतन संबंधी लंबित मांगों के निराकरण का आश्वासन दिया था, लेकिन आज तक वेतनमान व अन्य समस्याओं का निराकरण नहीं हो पाया है।
वन कर्मचारी संघ के जिलाध्यक्ष पवन कुमार राठौर व सचिव लोकेन्द्रसिंह कुशवाह ने बताया कि संगठन द्वारा किए जा रहे आंदोलन की रूपरेखा बनाई गई है। इसमें पहले चरण में 18 फरवरी को भोपाल में धरना दिया जाएगा। दूसरे चरण में 13 मार्च को जिला स्तर पर ज्ञापन, तीसरे चरण में 29 अपै्रल को भोपाल में रैली एवं धरना, चौथे चरण में 1 मई को शासकीय बन्दूक,जीपीएस, रिवाल्वर, शासकीय वाहन, शासकीय बस्ता जमा करना और पांचवें चरण में 5 मई से अनिश्चिकालिन हड़ताल की जाएगी।