कोरोना काल के बाद पहली बार शिक्षा सत्र समय पर शुरू हुआ है । कलेक्टर के आदेश के अनुसार एक स्कूल की किताबें, स्कूल ड्रेस, जूते सहित अन्य सामान की उपलब्धता पांच दुकानों पर होने चाहिए , लेकिन इस आदेश का खुलेआम उल्लंघन हो रहा है। शहर के किसी एक ही दुकानों पर पाठ्य-पुस्तके एवं अन्य सामग्री उलपलब्ध हैं, वहीं इनके दाम भी अधिक हैं। किसी अन्य दुकान पर सामान नहीं मिलने के कारण अभिभावक अधिक पैसा चुकाने को विवश हैं। वहीं प्रशासन इस समस्या के प्रति गंभीर नहीं दिख रहा है।
कलेक्टर ने दिए थे निर्देश
कलेक्टर सोमेश मिश्रा द्वारा पिछले सत्र के दौरान एक आदेश जारी किया गया था जिसमें निर्देशित किया गया था कि किसी भी प्राइवेट स्कूल को कम से कम पांच दुकानों पर स्कूल की किताबें, स्कूल ड्रेस मिलना अनिवार्य किया गया था। लेकिन जिला प्रशासन के ये आदेश भी फिलहाल हवा-हवाई ही साबित हो रहे है। इसके चलते अभिभावकों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है और अभिभावको जेब पर अतिरिक्त बोझ भी बढ़ गया है। कई स्कूल संचालकों ने सिर्फ एक या दो दुकानों पर ही किताबें व स्कूल की ड्रेस खरीदने के लिए अभिभावकों को कहा जा रहा है।
पालकों की पीड़ा
प्राइवेट स्कूल में अपने बच्चों को पढ़ाने वाले रमेश डामोर ने बताया कि इस बार किताबें व स्कूल ड्रेस काफी महंगी मिल रही है स्कूल ने फिर भी बढ़ा दी है। हम मर्जी से किताबें स्कूल ड्रेस नहीं खरीद सकते, प्राइवेट स्कूल वाले जहां बताते हैं वहां से ही खरीदते हैं। निलेश कटारा ने बताया कि प्राइवेट स्कूलों में फीस बढ़ जाती है और स्कूल ड्रेस व किताबें स्कूल संचालकों के मनमर्जी से ही देखी गई, दुकान से खरीदना पड़ रही है प्रशासन को इस ओर ध्यान देना चाहिए।
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क्या कहते हैं जिम्मेदार
मैं प्राइवेट स्कूलों संचालकों से पूछता हूं कि कहां-कहां से किताबें व स्कूल ड्रेस खरीदने का रखा गया है । किसी भी प्राइवेट स्कूल के खिलाफ पालकों की शिकायत मिलेगी तो मैं तुरंत कार्रवाई करूंगा।
-अंतरसिह रावत , बीआरसी , थांदला