किसानों को समझाइश दी जा रही है कि रात्रि में खेत की मेड़ों पर कचरा तथा खरपतवार आदि जलाकर, विशेष रूप से उत्तर-पश्चिम छोर से धुंआ करें, जिससे की धुएं की परत फसलों के उपर आच्छादित हो जाए। फसलों में खरपतवार नियंत्रण करना भी आवश्यक है, क्योंकि खेतों में उगने वाले अनावश्यक तथा जंगली पौधे सूर्य की उष्मा भूमि तक पहुंचने में अवरोध उत्पन्न करते हैं। इस प्रकार तापमान के असर को कुछ हद तक नियंत्रित किया जा सकता है।
स्थिति पर नजर रखने को कहा
इस संबंध मे भारत सरकार कृषि मंत्रालय द्वारा सलाह के अनुसार शुष्क भूमि में पाला पडऩे का जोखिम अधिक होता है, इसलिए फसलों में स्प्रिंकलर के माध्यम से हल्की सिंचाई करने की सलाह दी गई है। 8 से 10 किलोग्राम सल्फर डस्ट प्रति एकड़ का बुरकाव अथवा वेटेबल या घुलनशील सल्फर 3 ग्राम प्रति लीटर पानी में घोल बनाकर छिडक़ाव करने से भी पाले के असर को नियंत्रित किया जा सकता है। संचालक कृषि मोहन लाल के अनुसार इस संदर्भ में सभी संभागीय तथा जिला कार्यालयों को सूचित किया गया है। मैदानी कार्यकर्ताओं के द्वारा कृषकों को सूचित करने के साथ ग्रामीण स्तर पर डोंडी पिटवाने तथा व्यापक प्रचार-प्रसार के माध्यम से किसानों को सचेत करने के निर्देश दिए गए हैं। अधिकारियों से सघन भ्रमण कर स्थिति पर नजर रखने के लिए भी कहा गया है।
इस संबंध मे भारत सरकार कृषि मंत्रालय द्वारा सलाह के अनुसार शुष्क भूमि में पाला पडऩे का जोखिम अधिक होता है, इसलिए फसलों में स्प्रिंकलर के माध्यम से हल्की सिंचाई करने की सलाह दी गई है। 8 से 10 किलोग्राम सल्फर डस्ट प्रति एकड़ का बुरकाव अथवा वेटेबल या घुलनशील सल्फर 3 ग्राम प्रति लीटर पानी में घोल बनाकर छिडक़ाव करने से भी पाले के असर को नियंत्रित किया जा सकता है। संचालक कृषि मोहन लाल के अनुसार इस संदर्भ में सभी संभागीय तथा जिला कार्यालयों को सूचित किया गया है। मैदानी कार्यकर्ताओं के द्वारा कृषकों को सूचित करने के साथ ग्रामीण स्तर पर डोंडी पिटवाने तथा व्यापक प्रचार-प्रसार के माध्यम से किसानों को सचेत करने के निर्देश दिए गए हैं। अधिकारियों से सघन भ्रमण कर स्थिति पर नजर रखने के लिए भी कहा गया है।