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पंचेश्वर महादेव मंदिर समिति बना रही नदी के अंदर गंदे पानी निकासी के लिए दीवार

locationअलीराजपुरPublished: Feb 05, 2020 12:30:07 am

Submitted by:

kashiram jatav

अस्थियों को एकत्रीकरण एवं विसर्जन करने में लोगों को सुविधा होगी

पंचेश्वर महादेव मंदिर समिति बना रही नदी के अंदर गंदे पानी निकासी के लिए दीवार

पंचेश्वर महादेव मंदिर समिति बना रही नदी के अंदर गंदे पानी निकासी के लिए दीवार

आलीराजपुर. नगर के मध्य स्थित अति प्राचीन पंचेश्वर महादेव मंदिर स्थित श्मशाम घाट की साफ-सफाई की व्यवस्था को लेकर पंचेश्वर महादेव मंदिर समिति ने सराहनीय पहल की है। इसके तहत अंतिम संस्कार के बाद अस्थियों को एकत्रीकरण एवं विसर्जन करने में लोगों को सुविधा होगी। समिति द्वारा श्मशानघाट के समीप बह रहे नगर के मुख्य मार्ग से आ रहे गंदे नाले को मोडऩे के लिए एक दीवार का निर्माण नदी के बीच करवाया जा रहा है।
पंचेश्वर मंदिर स्थित त्रिवेणी संगम में तीन ओर से पानी का बहाव आता है, इसमें से नगर के मुख्य मार्ग से आने वाला गंदा पानी सीवर का होकर बदबू फैलाता है। यही पर और दाह संस्कार किया जाता है। इसके लिए कई लोग अस्थियों को गंदे पानी में विसर्जित करते है। इसको ध्यान में रखकर मंदिर समिति ने दीवार बनाने का निर्णय लिया है।
अस्थि विसर्जन स्थल पर आता था गंदा पानी : नगर के मुख्य मार्गों एवं सोरवा नाके से बहता हुआ नाला पंचेश्वर महादेव मंदिर स्थित त्रिवेणी संगम में जाकर मिलता है। पंचेश्वर मंदिर पर पहुंचने के बाद उक्त पानी जहां अंतिम संस्कार किया जाता है, उसके ठीक नीचे जाकर नदी में मिलता है। इसी को ध्यान में रखते हुए मंदिर समिति ने दीवार बनाने का काम किया है।
नदी शुद्धीकरण का किया जा रहा कार्य
पंचेश्वर महादेव मंदिर समिति के सदस्यों ने बताया की महादेव मंदिर अति प्राचीन होकर नगर के लोगों के लिए आस्था का केंद्र है। मंदिर परिसर का सौंदर्यीकरण एवं नदी का शुद्धीकरण होना अति आवश्यक है। वर्तमान में पंचेश्वर मंदिर स्थित नदी एक गंदे नाले के रूप में बदल गई है। इसका शुद्धिकरण हम सबको मिलकर करना चाहिए। समिति सदस्यों ने बताया, नगर के मुख्य मार्ग से आ रहे गंदे नाले को मोडऩे के लिए नदी के बीचोबीच एक दीवार का निर्माण किया जा रहा है। साथ ही बाहरपुरा की ओर से आ रहे गंदे पानी की निकासी के लिए भी समिति ने योजना बनाई है। पंचेश्वर महादेव मंदिर स्थित त्रिवेणी संगम शुद्ध जल से भरा हो। इससे हम अपनी आस्थां अनुसार जलझुलनी ग्यारस का पर्व धूमधाम से मना सके। साथ ही संजा विसर्जन, गणेश विसर्जन एवं मां दुर्गा की प्रतिमा विसर्जन के कार्यक्रम के साथ ही अन्य धार्मिक अनुष्ठान भी कर सके।

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