scriptनूरजहां के नूर पर मौसम की बेरुखी का साया | The shadow of the weather in Nur Jahan's Noor | Patrika News

नूरजहां के नूर पर मौसम की बेरुखी का साया

locationअलीराजपुरPublished: May 29, 2020 10:45:57 pm

Submitted by:

kashiram jatav

कट्ठीवाड़ा का प्रसिद्ध नूरजहां आम अपनी दुर्लभ प्रजाति के कारण विख्यात

नूरजहां के नूर पर मौसम की बेरुखी का साया

नूरजहां के नूर पर मौसम की बेरुखी का साया

जोबट. मौसम की बेरुखी के कारण क_ीवाड़ा क्षेत्र की प्रसिद्ध आम की किस्म नूरजहां अपने विशिष्ट आकार को लेकर राष्ट्रीय स्तर तक प्रसिद्ध है। इसका उत्पादन इस वर्ष कम हुआ है। साथ ही इस अंचल में होने वाली आमों की अन्य देशी व उन्नत किस्मों के उत्पादन भी सामान्य से मात्र बीस से तीस फ ीसदी ही उतरने की संभावना है। इससे अंचल में आम के भावों में बहुत तेजी रहेगी।
गौरतलब है कि बुंदेलखंड में पाई जाने वाली हाथी झूल नामक आम की प्रजाति से उन्नत किए नूरजहां का आकार अधिकतम तीन से चार किलो तक होता है। इसका उपयोग अचार के लिए किया जाता है। विशिष्ट आकर के चलते आम की इस प्रजाति की मांग बहुत ज्यादा है, किन्तु कट्ठीवाड़ा क्षेत्र में इस प्रजाति के कुल आठ पेड़ ही हैं। जिन पर लगे आमों को अक्सर पेड़ों पर ही बुक कर लिया जाता है। नूरजहां के पेड़ को विशिष्ट संरक्षण, आबोहवा और देखरेख की आवश्यकता होती है। इसके चलते इसे अनेक जगह ले जाकर लगाने की कोशिशें की गई, किंतु क_ीवाड़ा के बाहर इसका पेड़ कहीं भी पनप नही पाया। इस वर्ष केवल मात्र तीन पेड़ों पर ही नूरजहां लगे हैं।
अंचल में आम के कई फ ॉर्म , उत्पादन कम
क्षेत्र के साजनपुर, काचला, करेली मवड़ी, रथोडी, क़ाबरीसेल, दरखड़, अंधरकांच, चांदपुर, झरकली, फूलमाल, भूरिआम्बा जैसी जगहों में आम के अनेक फ ॉर्म तैयार हो चुके हैं, किंतु उनमें आम बहुत कम आए है। अंचल में देशी आम भी बहुत कम है। ग्रामीणों के अनुसार पानी की अधिकता, एकान्तर फ लन प्रक्रिया के चलते देशी आम भी बहुत कम आए हैं। इससे आमों का भाव अंचल में अधिकतम होगा। श्रीदेवी, पंखिड़ा, मलगुब्बा जैसी कई किस्में हैं। क्षेत्र में क_ीवाड़ा क्षेत्र की विशिष्ट आबोहवा के चलते यहां आम की अनेक किस्में ग्रामीण अंचल में होती हैं। कच्चे गिरे हुए आमों से छाले, अमचूर बनाकर भी बेचे जाते हैं। अंचल में पारंपरिक आम जैसे लंगडा, केसर, हापुस तो अनेक जगहों पर होता ही है। कुछ विशिष्ट किस्में रियासतकालीन परिवार के सदस्य भरतराज सिंह, शिवराज सिंह ने अपने बगीचों में तैयार की है। जो विशिष्ट स्वाद लिए हुए हैं। नूरजहां को 1999 में नेशनल अवार्ड व 2010 में किंग ऑफ मेंगो अवार्ड से नवाजा जा चुका है। कट्ठीवाड़ा का प्रसिद्ध नूरजहां आम अपनी दुर्लभ प्रजाति के कारण विख्यात है।
आय बढ़ाने के लिए आम के पौधे लगाने की सलाह
कट्ठीवाड़ा के उद्यानिकी विभाग के ग्रामीण उद्यानिकी विस्तार अधिकारी नितिन पाटीदार ने बताया कि शासन द्वारा कृषकों को आय बढ़ाने के किए आम के पौधे लगाने की सलाह व सहायता दी जा रही है। इसके तहत पौधों का वितरण और मनरेगा से आर्थिक सहयोग किया जाता है।
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