प्रस्तुत प्रकरण में एफ आई आर के बाद सतकर्ता अधिष्ठान के निरीक्षक भारत रत्न वाष्र्णेय ने विवेवचना शुरू की। उनके सेवा से रिटायर होने के बाद प्रकाश सिंह द्वारा विवेचना पूरी की गई और राकेश धर त्रिपाठी के विरुद्ध आरोप पत्र 14 मार्च 2016 को लगाया। जिसपर पुलिस अधीक्षक राम पाल गौतम ने 16 मार्च को अग्रसारित किया। 12 अप्रैल 2016 को विशेष जज भ्रष्टाचार निवारण वाराणसी ने संज्ञान लिया और राकेशधर ने 14 नवम्बर को समर्पण किया और जेल भेजे गए। 18 जनवरी 2017 को उनकी जमानत उच्च न्यायालय से स्वीकार हुई। मामला विशेष जज एमपी एम एल ए कोर्ट में डिस्चार्ज/चार्ज पर सुनवाई पर था कि निरीक्षक हवलदार सिंह यादव ने एक प्रार्थना पत्र 30 मार्च 2019 को देकर कहा कि आरोपी की ओर से एक प्रार्थना पत्र देकर पुनः विवेचना की मांग की गई थी। जिसमे आरोपी के विरुद्ध कोई अपराध का साबित होना नहीं पाया गया उक्त रिपोर्ट को पुलिस अधीक्षक शैलेश यादव द्वारा अग्रसारित की थी।
प्रस्तुत प्रकरण भारतीय अर्थव्यस्था से सम्बंधित गम्भीर प्रकरण होते हुए आरोप पत्र लगने के बाद पुनः विवेचना में विपरीत मत दिया जाना दो अलग अलग मत को देखते हुए न्यायालय ने तीनों विवेचक तथा दोनों एसपी को 6 जून को व्यक्तिगत रूप से न्यायालय में उपस्थित होकर स्पष्टीकरण देने का आदेश दिया है। तथा इसी के साथ ही आदेश की प्रति निदेशक उत्तर प्रदेश सतकर्ता अनुष्ठान लखनऊ तथा प्रमुख सचिव गृह को भेजे जाने का भी आदेश किया है।
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