1868 से 2015 तक की निर्णीत मुकदमों की फाइलों को हाईकोर्ट परिसर में स्थित सेन्टर में मंगा लिया गया है। यह कार्य तीन न्यायाधीशों की कमेटी निगरानी में हो रहा है। 25 लाख फाइलों को डिजिटाज्ड किये जाने के बावजूद उसे आन लाइन नहीं किया जा सका है। सेन्टर में गयी फाइलांे के आदेश की प्रति लेने की हजारों अर्जियां न्यायालय प्रशासन के लिए सिरदर्द बनती जा रही है। आये दिन वकीलों व हाईकोर्ट कार्यालय कर्मियों के बीच बेवजह विवाद होने पर स्थित तनावपूर्ण हो रही है।
डिजिटाइजेशन सेन्टर की हालत ऐसी हो गई है कि चारों तरफ फाइलों का अम्बार लगा हुआ है। स्कैन हो चुकी फाइलें भी आनलाइन न होने के कारण वहीं पड़ी है। नयी निर्णीत मुकदमों की फाइलांे को भी सेन्टर में लगातार भेजने का सिलसिला जारी है। स्कैन हो चुकी फाइलें नष्ट करने का आदेश जारी किया गया है किन्तु निर्णय नहीं लेने से अमल नहीं हो पा रहा है। इसमें पेच यह है कि स्कैन फाइलों को आनलाइन करने के बाद सत्यापन किये बगैर मूल फाइलेें अगर नष्ट कर दी गयी तो गंभीर समस्या खड़ी हो सकती है।
इसी बीच सी.आई.एस. सिस्टम लागू करने की हाईकोर्ट की योजना में तेजी लायी जा रही है जिससे वकीलों और वादकारियों को कोई परेशानी न हो। चीफ जस्टिस डी.बी.भोसले सीआईएस सिस्टम को ठीक प्रकार से लागू करने को लेकर खुद मानीटरिंग करते हैं। किसी भी वकील की इस संबंध में शिकायत प्राप्त होने पर उसका तत्काल समाधान किया जा रहा है।
by Court Correspondence
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