विवि में लगातार आन्दोलन और उग्र प्रदर्शन के बाद विवि प्रशासन और छात्रनेताओ द्वारा मुकदमो का जो शिलशिला चला तो मामला हाइकोर्ट पंहुचा। कोर्ट हस्तक्षेप के बाद विवि को यह आदेश दिया गया की छात्रों का पक्ष जानने के लिये एक कमेटी बनायी जाए उसके बाद ही कोई कार्यवाही की जानी चहिये। जिस पर अंग्रेजी विभाग के प्रो आरके सिंह की अध्यक्षता में पांच सदस्यीय कमेटी का गठन किया इस कमेटी ने आरोपी छात्रों को बुलाकर उनका पक्ष जाना और 18 सितंबर को रिपोर्ट सौंपी। तत्काल कुलपति ने बड़ा निर्णय लेते हुए छह छात्रो का निष्कासन कर दिया। विवि कैम्पस में बीते दो साल से चल रहे छात्र नेता बनाम कुलपति के आन्दोलन में अब तक का यह सबसे बड़ा फैसला लिया गया जिसमें छात्रों को निष्कासित किया गया।
विश्वविद्यालय कैंपस में छह छात्र नेताओं ने चार विक्रांत सिंह नीरज सिंह आनंद सिंह निक्कू और सूर्य प्रकाश मिश्रा छात्र संगठन अख़िल भारतीय विद्यार्थी परिषद से जुड़े हैं। वही विवि छात्रसंघ के आगामी चुनाव के लिए छात्र नेता नीरज प्रताप सिंह ने एवीबीपी पैनल से अध्यक्ष पद की दावेदारी की है और छात्र संघठन एबीवीपी से नीरज अध्यक्ष पद के टिकट के लिये प्रबल दावेदार हैं। विवि में कुलपति के खिलाफ परिषद ने बड़ा आन्दोलन चला रखा है। बीते दो सालो में केंद्र सरकार परिषद के पैरोकारी पर कुलपति को चार बार तलब किया है। इस निष्कासन की कार्यवाही में सबसे ज्यादा एबीवीपी के कार्यकर्ता है।
वहीं छात्र नेता नीरज प्रताप सिंह ने पत्रिका को बताया उन्हें निष्कासित केवल इसलिये किया गया है ताकि वह चुनाव न लड़ सकें। नीरज का आरोप है कि जांच कमेटी के प्रोफेसर आरके सिंह ही युनिवर्सिटी के चुनाव अधिकारी भी हैं। आगामी चुनाव में उनका एक शोध छात्र एबीवीपी से अध्यक्ष पद का दावेदार है। उसे जिताने के लिये ही उन्होंने यह कार्रवाई की है। छात्र नेता विवेकानंद पाठक ने कार्यवाही को अलोकतांत्रिक बताया। विवेकानंद पाठक ने इस कार्यवाही का कोई मतलब नही है। मैं पहले ही तीन साल से विवि का छात्र नही हूं तो निष्कासन कैसा।
विवेकानंद पाठक भी विवि के छात्र नहीं। लेकिन छालों को लेकर होने वाले आंदोलन में सक्रिय रहते हैं। पिछले दिनों विवि में हुए बवाल के बाद जेल भी गए थे। विवेकान्नद एनएसयूआई के राष्ट्रिय सचिव है। विवेकानन्द पाठक आन्दोलन में जेल गए और एनएसयूआई के राष्ट्रिय अध्यक्ष पद का चुनाव भी जेल से लड़े। निष्कासित हुए अंकुश यादव लखनऊ विश्वविद्यालय में एमए समाज कार्य के छात्र हैं। अंकुश पर आरोप है की विवि के केपीयूसी हास्टल में कब्जा करके रह रहे हैं। जिसकी रिपोर्ट राज्यपाल और लखनऊ विश्वविद्यालय के कुलपति भेजी जाएगी। जिससे लखनऊ विश्वविद्यालय कुलपति विश्वविद्यालय स्तर से कार्यवाही कर सके।