scriptअब इलाहाबाद का नाम बदलने के लिए सीएम योगी से मिले संत | akhara parishad members meet to cm yogi for name change of allahabad | Patrika News

अब इलाहाबाद का नाम बदलने के लिए सीएम योगी से मिले संत

locationप्रयागराजPublished: Sep 12, 2017 10:58:00 pm

फर्जी बाबाओं की लिस्ट जारी करने के बाद मुख्यमंत्री से मिले अखाड़ा परिषद के सदस्य

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सीएम से मिले संत

इलाहाबाद. भारतीय संस्कृति और धार्मिक आस्था की प्रतीक संगम नगरी प्रयाग को एक बार फिर उसके पौराणिक और प्राचीन नाम से सुशोभित करने का प्रयास सनातन धर्म की सर्वमान्य संस्था अखाड़ा परिषद ने शुरू किया है । संगम नगरी में बाघंबरी गद्दी के महंत और अखाड़ा परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष महंत नरेंद्र गिरि महाराज के नेतृत्व में आज प्रयाग से लखनऊ संतों का एक दल मिलने पहुंचा। महंत नरेंद्र गिरी महाराज के नेतृत्व में अखाड़ा परिषद से जुड़े सनातन संस्कृति की मान्यता रखने वाले अलग अलग अखाड़ों के प्रतिनिधि मुख्यमंत्रयोगी आदित्यनाथ से अपनी मांगों को लेकर मिलने पहुंचे थे।
अखाड़ा परिषद ने एक दिन पहले देश में फर्जी बाबाओं की लिस्ट जारी करने के बाद आज मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के पास मिलने पहुंची।इसके पहले भी आगामी अर्धकुंभ की तैयारियों को लेकर अखाड़ा परिषद मुख्यमंत्री से लगातार मिलता रहा है।बीते दिनों मुख्यमंत्री इलाहाबाद में थे।उन्होंने आगामी अर्धकुंभ की तैयारी को लेकर स्थाई तौर से इलाहाबाद में प्रयागराज प्राधिकरण स्थापित करने की बात कही थी।उसके बाद अखाड़ा परिषद आज उनसे मिलने पहुंची।अपनी मांगों में अखाड़ा परिषद की ओर से यह प्रस्ताव भी मुख्यमंत्री को दिया गया कि इलाहाबाद के नाम को बदल कर इसके प्राचीन पौराणिक नाम से इसे फिर से सुशोभित किया जाए ।और इलाहाबाद का नाम प्रयागराज किया जाए।
अखाड़ा परिषद ने इलाहाबाद का नाम बदलने को लेकर जिला प्रशासन के माध्यम से पहले भी अपनी मांग मुख्यमंत्री तक पहुंचा चुका है। आज लखनऊ में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मुलाकात करने के बाद लौट रहे नरेंद्र गिरि महाराज ने पत्रिका से फोन पर बात की और उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इस बात के लिए आश्वासन दिया है।कि जल्द ही कैबिनेट में प्रस्ताव लाकर इलाहाबाद के नाम को प्रयागराज किया जाएगा।महंत नरेंद्र गिरि ने बताया कि इलाहाबाद का पुनः नामकरण प्रयागराज आगामी अर्धकुंभ से पहले हो जाने की बात मुख्यमंत्री ने कही है।
बता दें कि संगम नगरी प्राचीन काल से प्रयागराज के नाम से ही जानी जाती थी। प्रयागराज को तीर्थों का राजा कहा जाता है। हिंदू धर्मावलंबियों के लिए यह एक पूर्ण तीर्थ स्थान है ।अगर ऐतिहासिक अभिलेखों की बात करें तो 16 वी सदी से पहले इलाहाबाद को प्रयाग या प्रयागराज के नाम से ही जाना जाता था।लेकिन 1526 में इस प्राचीन नाम को बदल दिया गया। 1526 में प्रयाग मुगलों के आधिपत्य में आ गया।मुगल शासक अकबर ने प्रयागराज का नाम बदलकर अल्लाहाबाद कर दिया था।संगम के किनारे अकबर का एक प्राचीन किला स्थापित है।अकबर ने प्रयाग का नाम बदलकर इलाहाबाद किया जो सामान्य बातचीत में इलाहाबाद कहा जाता है।सरकारी अभिलेखों और तमाम दस्तावेजों में अल्लाहाबाद को इलाहाबाद ही लिखा जाता है।जिसे अब बदल कर फिर से प्रयाग करने का प्रस्ताव है।
संगम नगरी प्रयाग की धार्मिक मान्यता है। प्रयाग का नाम पुराणों में अंकित है। पुराणों में हिंदू धर्म की मान्यता के अनुरूप प्रयागराज की धरती मानव संस्कृति का सबसे पहला यज्ञ यही यही पर हुआ था। जिसका जिक्र पुराणों में मिलता है।धार्मिक जानकारों के अनुसार की प्रयाग की इस धरती पर 33 हजार करोड़ देवी देवताओं ने हवन पूजन और यज्ञ किया है। वेणी माधव मंदिर के महंत ने बताया कि प्रयाग का अर्थ प्र से प्रथम और याग से है।देवताओं द्वारा पहली बार यज्ञ की धरती को प्रयाग कहा गया यह दुनिया भर में तीर्थराज प्रयाग के नाम से जाना जाता है और यह त्रिवेणी गंगा यमुना सरस्वती की पावन धरती है।
इलाहाबाद का नाम बदलने का प्रयास लंबे समय से जारी था।धार्मिक संस्थाओं और मठ मंदिरों के महंतो द्वारा कुंभ अर्द्धकुंभ के अलावा धार्मिक मंचों से इलाहाबाद का नाम प्रयाग करने की मांग उठती रही है। बीते दिनों मुख्यमंत्री ने मेले के स्थाई निर्माण को लेकर प्रयागराज प्राधिकरण बनाने का जिक्र करके इस दावे पर मोहर लगा दी। कि जल्द ही इलाहाबाद का नामकरण पुनः प्रयाग हो सकता है ।अखाड़ा परिषद आज मुख्यमंत्री से मिलने अपने उस निर्णय को लेकर भी गई जिसमें उन्होंने देश भर के फर्जी बाबाओं को निष्कासित किया है ।शासन को अखाड़ा परिषद के द्वारा प्रस्ताव और उसकी मंजूरी पत्र को सौंपा गया।

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