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NEW YEAR 2018 नये साल में मिल रहा इलाहाबाद को नया तोहफा, वर्षों से इसके इंतजार में थी संगम नगरी

locationप्रयागराजPublished: Jan 01, 2018 11:13:58 am

साहित्य संस्कृतिक और राजनीतिक त्रिवेणी से नई राह निकलने की उम्मीद में संगम नगरी

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नये साल में मिल रहा इलाहाबाद को नया तोहफा, वर्षों से इसके इंतजार में थी संगम नगरी

इलाहाबाद तमाम यादों के साथ 2017 विदा हो गया।और उससे कही ज्यादा उम्मीदों को लिए नववर्ष के स्वागत में संगम की रेती और यह शहर बाहें फैलाए खड़ा है।यादें हमेशा जेहन में रहती हैं।कुछ अच्छी तो कुछ बुरी।कुछ ऐसी घटनाएं हुई जो हमेशा चेहरे पर खुशी लाएंगी तो कुछ ऐसी भी जिन्हें हम भूल जाना चाहेंगे।2018 कई मायने में इस शहर और शहर वासियों के लिए महत्वपूर्ण है।2018 ढेरो नई उम्मीद के साथ आया है।स्मार्ट होते इलाहाबाद को कुंभ के जरिए दुनिया मे एक बार फिर स्वर्णिम हस्ताक्षर करने का मौका मिला। जो आने वाले कई दशकों तक स्वर्णिम इतिहास के रूप में दर्ज रहेगा।विश्व सांस्कृतिक धरोहर मिलने का जो सुख प्रयाग को मिला है।उस सुख के भरोसे वर्षों से विकास की बाट जोह रहा या शहर 2018 में तमाम उम्मीदों और कामनाओं के साथ खिलखिला उठा है।एक बार फिर विकास के पथ पर प्रयाग चलने को तैयार है। इसे गति मिलेगी इसकी उम्मीद है।


शहर में वादों के पिटारे से निकला ढेर सारा विकास कार्य तेजी से चल रहा है। हर प्रयाग वासी को उम्मीद है। कि जल्द ही शहर में ढेर सारे ओवरबृज चमकती दमकती सड़कें और गंगा में साफ़ पानी भी मिलेगा इसकी उम्मीद है। सरकारी कागजो और फाइलों की तरह यहां के विकास का रथ भी पटरी पर दौड़ेगा। 2017 से टूट रही सड़कें और बड़े.बड़े गड्ढों को तैयार करने में लगी विशालकाय मशीनों को देखकर उम्मीदें और मजबूत हुई हैं।और लगता है कि यह रवायत चलती रही तो विकास का पहिया भी तेजी से दौड़ेगा।शहर के स्मार्ट होने की बात और फिर जब कुंभ को वैश्विक धरोहर की फेहरिस्त में शामिल कर लेने की खबर इस शहर को जैसे ही मिली । गौरान्वित हुए इस सश्र के लोगो ने विकास की कीमत पर सारी तकलीफें सहने को तैयार हो गया तकलीफ है। टूट रही सड़कें बड़े गड्ढे बड़ी मशीन यातायात में सारी दिक्कतें ,करीब दिख रहा घर कई किलोमीटर की दूरी पर तय करके पहुचना यह सब उम्मीद हैकि आने वाला समय अच्छा होगा।

बता दे कि संगम का यह शहर गंगा यमुना सरस्वती की अविरल धारा के लिए दुनियाभर में मशहूर है। लेकिन यह शहर और यहां की मिट्टी ऐसी है। जहां साहित्य संस्कृतिक और राजनीतिक त्रिवेणी की भी धारा बहती है। गंगा यमुना के शहर में विलुप्त सरस्वती जिसके पुत्र निराला महादेवी मालवीय शरीके रत्नों की कल्पना को साकार करते और लेखनी की धार को प्रबल करते हुए।एक बार फिर इस शहर को साहित्य की राजधानी बनाने की जद्दोजहद में लगे यश मालवीय धनंजय चोपड़ा विवेक निराला, शरीके कलमकार के लिए भी ऐसे वर्ष एक उम्मीद का वर्ष है। क्योंकि दसको बाद बड़े विकास कार्य की योजना पर अमल हो रहा है। प्राचीन सदियों से सनातन धर्म की परंपरा के मेले को विश्व धरोहर में स्थान मिला है। तो स्वाभाविक सी बात है। कि साहित्य भी इस वक्त को जाया नहीं करेगा। और सुनहरे समय को शब्दों के जरिये आकार देगा।

धर्म की नगरी प्रयाग जहां एशिया का सबसे बड़ा न्याय का मंदिर स्थापित है। और भरद्वाज मुनि की गौरवशाली परंपरा का निर्वहन कर रहा पूरब का ऑक्सफोर्ड एक बार फिर अपनी पुरातन गौरवशाली परंपरा का निर्वहन करेगा। बीते कई सालों से लगातार शिक्षा पद्धति में राजनीति का जबरदस्त दखल अब इस पर हावी होता दिख रहा है। वह चाहे आईएएस की फैक्ट्री का खालीपन हो ,आयोग के दरवाजे पर लोगों का हुजूम यह सब बड़े सवालिया निशान की तरह बीता है। अब इन सबके लिए भी यह उम्मीद का वर्ष है ।लाखों.करोड़ों नौकरियों के वादों को पूरा करने का वर्ष है। एक बार फिर देश की प्रशासनिक सेवाओं में यहां से अपने हुनर मन्दो को भेजने का वर्ष है। और इन सब की उम्मीद लिए यह साल फिर आया है। यह उम्मीदों का साल है।

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