कोर्ट ने कहा है कि सचिव, मानव संसाधन विकास भारत सरकार एवं विश्वविद्यालय अनुदान आयोग इस कार्य के लिए विश्वविद्यालयों को जरूरी सुविधाएं उपलब्ध कराएं।
कोर्ट ने कहा है कि इस योजना को 6 माह में लागू किया जाए। किसी भी दशा में 1 साल की देरी न की जाए।
कोर्ट ने कहा है कि इस योजना को 6 माह में लागू किया जाए। किसी भी दशा में 1 साल की देरी न की जाए।
यह आदेश न्यायमूर्ति अजय भनोट ने छात्र अनंत नारायण मिश्रा की याचिका पर दिया है। याचिका में कुलसचिव बीएचयू वाराणसी के 30 मार्च 2019 के आदेश को चुनौती दी गई है। जिसके तहत अनुशासन हीनता के आरोपी छात्रों के विशेषाधिकार एवं परिसर के भीतर उनके क्रियाकलापों पर रोक लगा दी गई है। आदेश में कहा गया है कि इस मामले में लंका थाने में दर्ज शिकायत पर इनके दोषमुक्त होने तक यह निलंबित रखे जाएंगे।
मालूम हो कि 28 जनवरी 19 को एक प्रोफेसर पर कक्षा में पढ़ाने जाते समय हमला किया गया । विशेष टिप्पणी की गयी।जिसको लेकर काशी हिंदू विश्वविद्यालय वाराणसी द्वारा आरोपी छात्रों के खिलाफ अनुशासनिक कार्रवाई की गई है। कोर्ट ने कहा है अनुच्छेद 21 के तहत प्राप्त मूल अधिकारों एवं मानव अधिकारों तथा छात्रों एवं समाज के हित को दृष्टिगत रखते हुए विश्वविद्यालय ऐसी कार्य योजना तैयार करें। ताकि छात्रों को सुधरने का पूरा मौका मिले। कोर्ट ने आरोपी छात्रों को अपना कोर्स पूरा करने की अनुमति देने का भी निर्देश दिया है।