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इलाहाबाद हाईकोर्ट ने पूर्व मध्यस्थता के बाद जारी कारण बताओ नोटिस को किया रद्द, जानिए वजह

locationप्रयागराजPublished: Aug 08, 2022 01:08:50 pm

Submitted by:

Sumit Yadav

मामले की सुनवाई करते हुए न्यायमूर्ति मनोज कुमार गुप्ता और जस्टिस दिनेश पाठक की पीठ ने निर्णय लिया। मामले न्यायालय ने कहा कि भले ही याचिकाकर्ता अपना स्पष्टीकरण प्रस्तुत करता है, यह एक खाली औपचारिकता और एक निरर्थक अभ्यास होगा। इसके साथ ही प्रतिवादी को स्पष्टीकरण मांगते समय मुद्दों के लिए अपने दिमाग को खुला रखने का ध्यान रखना चाहिए।

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने पूर्व मध्यस्थता के बाद जारी कारण बताओ नोटिस को किया रद्द, जानिए वजह

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने पूर्व मध्यस्थता के बाद जारी कारण बताओ नोटिस को किया रद्द, जानिए वजह

प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने भेजे गए नोटिस को रद्द करते हुए कहा कि प्रतिवादी ने पहले ही मन बना लिया और याचिकाकर्ता बीसिट्स प्राइवेट लिमिटेड को नोटिस में अपना निर्णय व्यक्त किया था। मामले की सुनवाई करते हुए न्यायमूर्ति मनोज कुमार गुप्ता और जस्टिस दिनेश पाठक की पीठ ने निर्णय लिया। मामले न्यायालय ने कहा कि भले ही याचिकाकर्ता अपना स्पष्टीकरण प्रस्तुत करता है, यह एक खाली औपचारिकता और एक निरर्थक अभ्यास होगा। इसके साथ ही प्रतिवादी को स्पष्टीकरण मांगते समय मुद्दों के लिए अपने दिमाग को खुला रखने का ध्यान रखना चाहिए।
मामले में याचिकाकर्ता को 2018 में प्रतिवादी-निगम द्वारा “डोर टू डोर मीटर रीडिंग, बिल जनरेशन और एसबीएम/मोबाइल ऐप/डाउनलोडिंग के साथ अन्य उपयुक्त माध्यमों के माध्यम से सेवा” का अनुबंध दिया गया था। जून 2020 और अगस्त 2021 में, याचिकाकर्ता को उसकी ओर से कथित अनियमितताओं के कारण उसे ब्लैकलिस्ट करने की धमकी देते हुए एक नोटिस जारी किया गया था।
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इसके बाद में दोनों नोटिसों को हटा दिया गया था। हालांकि, अगस्त 2021 में एक और नोटिस जारी किया गया जिसमें याचिकाकर्ता कंपनी को ब्लैकलिस्ट करने की धमकी देने वाले समान आरोप लगाए गए थे। इस मामले में याचिकाकर्ता कंपनी ने इस नोटिस का जवाब दिया। हालांकि, स्पष्टीकरण को स्वीकार नहीं किया गया और प्रतिवादी एक निश्चित निष्कर्ष पर पहुंचे कि कंपनी द्वारा की गई कथित अनियमितताओं और उल्लंघनों के परिणामस्वरूप प्रतिवादी-निगम की छवि खराब हुई।
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