लाइव लॉ की रिपोर्ट के मुताबिक, जस्टिस शमीम अहमद की अदालत ने कहा कि एक मुस्लिम ससुर को बहू की कस्टडी की मांग करने वाली बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका दायर करने का ही कोई अधिकार नहीं है। कोर्ट ने कहा कि महिला का पति कुवैत में अपनी आजीविका कमाने के लिए रह रहा है। ऐसे में संभव है कि वह खुद ससुराल में रहना नहीं चाहती हो। न्यायालय ने कहा कि अगर कोई शिकायत है, तो पति के पास उचित मंच से संपर्क करने का उपाय है, लेकिन ससुर के पास ये हक नहीं है।