कोर्ट ने जेल प्रशासन के रवैये को अड़ियल बताते हुए कहा, ”आठ महीनों के दौरान जमानत के आदेशों का पालन नहीं करने का एकमात्र कारण न्यायालय के आदेशों को पूरा करने में जेल प्रशासन का अड़ियल रवैया है। इस प्रक्रिया में, उसने एक नागरिक को उसकी स्वतंत्रता से, बिना किसी उचित या वाजिब कारण के, अप्रैल, 2020 से आज तक वंचित किया है।” कोर्ट ने विनोद बरुआर को इसी नाम के साथ पारित होने वाले एक रिहाई के आदेश (बलात्कार और पॉक्सो अधिनियम मामले) के साथ रिहा करने का आदेश दिया।