कोर्ट ने विपक्षी के पक्ष में फैसला दिया और सरकार को आदेश दिया कि भीम सिंह की एक बीघा, दस बिस्वा व 5 विस्वांशी भूमि को तीन माह में खाली कर कब्जा वापस करने का राज्य सरपकार को निर्देश दिया और कहा कि यदि कब्जा वापस नहीं होता तो वादी को भूमि का कब्जा लेने का अधिकार दिया गया। सरकार द्वारा न तो मुआवजा दिया गया और न ही जमीन खाली की गयी।
निष्पादन कोर्ट में कहा गया कि केवल 0.075 हेक्टेयर भूमि पर नहर बनी है। पूरी जमीन का मुआवजा नहीं दिया जा सकता। अर्जी पर कोर्ट आदेश को राज्य सरकार ने चुनौती दी और 29 साल तक व्यर्थ के मुकदमे में उलझाये रखा। कोर्ट का फैसला अन्तिम होने के बाद भी कब्जा नहीं छोड़ा गया। कोर्ट ने इसे अनुच्छेद 300 ए के अधिकारों का हनन माना और पचास हजार हर्जाने के साथ याचिका खारिज कर दी।