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गोरखपुर मेडिकल कॉलेज में किस कारण से हुई बच्चों की मौत: इलाहाबाद हाईकोर्ट

locationप्रयागराजPublished: Aug 19, 2017 09:09:00 am

Submitted by:

sarveshwari Mishra

 राज्य सरकार से मांगा जवाब, सुनवाई 29 अगस्त को, कोर्ट ने इंसेफ्लाइटिस पर उठाये गये कदमो की मांगी जानकारी
 

Allahabad High Court

इलाहाबाद हाई कोर्ट

इलाहाबाद. इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने गोरखपुर बीआरडी मेडिकल कॉलेज में ऑक्सीजन आपूर्ति बंद होने से 67 बच्चों की मौत पर यूपी सरकार से जवाब मांगा है और पूछा है कि किस वजह से बच्चों की मौत हुई है। कोर्ट ने कहा कि घटना दुर्भाग्यपूर्ण है। इसमें सही तथ्य सामने आने चाहिए ताकि इस प्रकार की दुर्भाग्यपूर्ण घटना की पुनरावृत्ति भविष्य में न हो, इसके उपायों पर विचार हो सके।

यह आदेश मुख्य न्यायाधीश डी.बी. भोसले तथा न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा की खंडपीठ ने मेरठ के सामाजिक कार्यकर्ता लोकेश खुराना, अधिवक्ता सुनीता शर्मा, पूर्व सभासद कमलेश सिंह व कई अन्य की जनहित याचिकाओं की सुनवाई करते हुए दिया। बच्चों की सामूहिक मौत को लेकर कई जनहित याचिकाएं हाईकोर्ट में दायर की गयी हैं। इन याचिकाओं पर अलग – अलग वकीलो ने अपनी अपनी बहस की। वकीलों का कहना था कि इतनी बड़ी घटना के बाद अभी तक मृत बच्चों का पोस्टमार्टम तक नहीं कराया गया। न ही कोई प्राथमिकी ही दर्ज करायी गयी। आरोप लगाया गया है कि सरकार गलत बयानी कर घटना की लीपापोती कर रही है ।कोर्ट का कहना था कि किसी भी प्रकार का आदेश पारित करने से पहले सरकार का मौत की कारणों को लेकर जवाब आना जरूरी है। सरकार की तरफ से अपर महाधिवक्ता मनीष गोयल ने अदालत से जवाब दाखिल करने के लिए समय की मांग की।
इस पर कोर्ट ने सरकार को समय देते हुए 29 अगस्त को पुनः इस मामले पर सुनवाई का आदेश दिया। कोर्ट का कहना था कि मौत का कारण स्पष्ट होने के बाद वह आगे आदेश जारी करेगी। अधिवक्ता अनूप त्रिवेदी ने अन्य राज्यों की तरह यूपी में भी मेडिकल कारपोरेशन के गठन की माँग की। कोर्ट ने कहा कि वह इस मुद्दे पर भी आगे विचार करेगी। याचिका पर अधिवक्ता के के राय व वीसी श्रीवास्तव ने भी अलग अलग पक्ष रखा। इनका कहना था कि पिछले एक दशक से पूर्वांचल के जिलों में इंसेफ्लाइटिस जानलेवा बीमारी से हजारों बच्चो की मौत होती है। सरकार अभी तक इससे निपटने की कारगर योजना बनाने में विफल रही है। फलस्वरूप हर साल बरसात में इस घातक बीमारी से हजारों बच्चो की मौत होती है। कोर्ट ने इंसेफ्लाइटिस की रोकथाम के लिए सरकार से अब तक उठाये गये कदमों की जानकारी हलफनामे के जरिये मांगी है।
जनहित याचिकाओं में घटना की हाईकोर्ट के जज से न्यायिक जांच कराने, दोषी अधिकारियों के खिलाफ कार्यवाई करने व पीड़ितों को मुआवजा दिलाये जाने की मांग की गयी है। मालूम हो की 10 अगस्त17 को अस्पताल में आक्सीजन सप्लाई करने वाली कम्पनी ने 67 लाख रूपये से अधिक के बकाये का भुगतान न करने पर आक्सीजन आपूर्ति रोक दी, किन्तु सरकार का कहना है कि बच्चों की मौत दूसरी वजहों से हुई है। सरकार ने लापरवाही बरतने वाले प्राचार्य को निलंबित कर दिया है। खरीद फरोख्त कमेटी के इंचार्ज खफील अहमद को भी हटा दिया गया है। याचियों का कहना है कि सरकार मामले की लीपापोती कर रही है। इसलिए कोर्ट कदम उठाये। अगली सुनवाई 29 अगस्त को होगी।
इनपुट- इलाहाबाद संवाददाता की रिपोर्ट

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