यह आदेश न्यायमूर्ति विपिन सिन्हा तथा न्यायमूर्ति इफाकत अली खान की खण्डपीठ ने डी.के.गुप्ता की गाजियाबाद के सीबीआई थाने में दर्ज प्राथमिकी की वैधता के खिलाफ दाखिल याचिका पर दिया है। याची अधिवक्ता आशीष कुमार सिंह का कहना था कि याची निर्दाेष है, प्राथमिकी झूठ का पुलिंदा है। याची को षडयंत्र, धोखाधड़ी व भ्रष्टाचार के आरोप में फंसाया गया है। उस समय बैंक पोर्टल पर वोटर आईडी के मिलान की व्यवस्था नहीं थी। राज्य सरकार के अधिवक्ता का कहना था कि खाता खोलते समय वोटर आईडी व पते की जांच नहीं की गयी। लेटर आफ थैंक भी नहीं भेजा गया। खाता खोलकर छह करोड़ जमाकरा लिये गये। कोर्ट ने दर्ज प्राथमिकी पर हस्तक्षेप करने से इंकार कर दिया किन्तु गिरफ्तारी पर रोक लगाते हुए यथाशीघ्र विवेचना पूरी करने का निर्देश दिया है।
BY- Court Corrospondence