हाईकोर्ट (High Court) ने सभी जिलों के डीएम को ध्वनि प्रदूषण की निगरानी करने के लिये टीम बनाने और ध्वनि प्रदूषण कानून का उल्लंघन करने वालो के खिलाफ कार्रवाई करने का निर्देश दिया है। इसके अलावा सभी धार्मिक त्योहारों के पहले इस कानून का पालन कराने की पूरी जिम्मेदार एसपी और डीएम को दी है। कहा है कि एसपी डीएम कानून का पालन सुनिश्चित कराएं। इतना ही नहीं कोर्ट ने डीजे पर पूरी तरह पाबंदी लगाते हुए, कहा है कि इसके बाद भी अगर ध्वनि प्रदूषण होता है तो संबंधित थानाध्यक्ष उसके लिये जिम्मेदार होगा। ध्वनि प्रदूषण को लेकर कोर्ट ने साफ कहा है कि यह बच्चों से लेकर बुजुर्गों, मरीजों से लेकर स्वस्थ व्यक्ति सभी के स्वास्थ्य के लिये खतरा है और परेशानी का सबब है।
जस्टिस पीकेएस बघेल और जस्टिस पंकज भाटिया की बेंच ने यह आदेश प्रयागराज के हाशिमपुर निवासी सुशील चन्द्र श्रीवास्तव व अन्य की याचिका पर फैसला सुनाते हुए दिया है। याचिकाकर्ताओं की शिकायत थी कि रिहायशी क्षेत्र हाशिमपुरा रोड पर जिला प्रशासन की ओर से एलसीडी लगवाया गया है, जो सुबह चार बजे से आधी रात तक बजता है। अपनी 85 सल की मां और आसपास के अस्पतालों का हवाला देते हुए याचिका में कहा गया कि इससे स्थानीय लोगों और मरीजों को काफी परेशानी हो रही है और बच्चे पढ़ाई भी नहीं कर पा रहे हैं।
कोर्ट ने राज्य सरकार को भी आदेश दिये हैं कि ध्वनि प्रदूषण कानून से सम्बन्धित अपराधों का मुकदम दर्ज कराया जाय। इसके अलावा सभी शहरों को शहरी, औद्योगिक, व्यावसायिक और रिहायशी या साइलेंस जोन के रूप में श्रेणिबद्ध करने का आदेश देते हुए यूपी के प्रमुख सचिव को आदेश का पालन कराने के लिये अधिकारियों को निर्देश जारी करने को कहा है।
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