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इलाहाबाद हाईकोर्ट से यूपी पुलिस के लिए बड़ी खबर…

locationप्रयागराजPublished: Oct 28, 2017 08:02:51 am

इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने लगाई रोक

Allahabad High Court

Allahabad High Court

इलाहाबाद. उच्च न्यायालय इलाहाबाद ने पुलिस विभाग में 50 वर्ष की आयु पूरी कर चुके पुलिस कर्मियों की अनिवार्य सेवानिवृत्ति पर रोक लगा दी है। दर्जनों पुलिस कर्मियों की याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए यह आदेश न्यायमूर्ति आरएसआर मौर्या ने दिया है। कोर्ट ने प्रदेश सरकार से इस बावत जानकारी भी मांगी है। याचिका पर नवम्बर के तीसरे सप्ताह में सुनवाई होगी।
जगत बिहारी तिवारी, खुर्शीद अकबर व अन्य तमाम पुलिस कर्मियों की याचिकाओं पर बहस करते हुए अधिवक्ता विजय गौतम का कहना था कि याचीगण को छह जुलाई 2017 के शासनादेश के तहत अनिवार्य सेवानिवृत्ति का आदेश 11 दिसम्बर 2017 को जारी कर दिया गया। आदेश में इस बात का भी जिक्र किया गया कि उनके विरुद्ध कितनी प्रतिकूल प्रविष्टियां हैं। अधिवक्ता का कहना था कि अनिवार्य सेवानिवृत्ति देने में शासनादेश के नियमों का पालन नहीं किया गया। बिना स्क्रीनिंग कमेटी बनाये पिक एण्ड चूज के आधार पर सेवानिवृत्ति दे दी गयी। कोर्ट ने कहा कि अनिवार्य सेवानिवृत्तित के आदेश में कोई जज्बा नहीं होना चाहिए। 11 सितम्बर के आदेश पर रोक लगाते हुए जवाब तलब किया है।

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अपर निजी सचिव परीक्षा परिणाम को चुनौती

उत्तर प्रदेश सचिवालय में अपर निजी सचिव परीक्षा 2010 के परिणाम को हाईकोर्ट में चुनौती दी गयी है। परीक्षा में गंभीर अनियमितता बरतने का आरोप लगाया गया है। उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति सुनीत कुमार ने याचिका पर प्रदेश सरकार और उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग से जवाब मांगा है। अजीत कुमार सिंह और अन्य याचिका पर हाईकोर्ट ने जानकारी मांगी है। याची के अधिवक्ता के मुताबिक निजी सचिवों के 250 पदों पर नियुक्ति के लिए 25 दिसम्बर 2010 को विज्ञापन जारी किया गया। चयन के लिए स्नातक के साथ उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा मान्यता प्राप्त संस्थान से ट्रिपल सी का सर्टिफिकेट होना अनिवार्य था। चयन परिणाम जारी हुआ तो इसमें सात ऐसे अभ्यर्थी चयनित किए गए जिन्होंने मान्यता प्राप्त संस्थान का सर्टिफिकेट नहीं लगाया है। इसके अलावा आयोग ने कम्प्यूटर का प्रैक्टिकल टेस्ट लेने के बजाए लिखित परीक्षा ली गयी जो कि विज्ञापन की शर्तों का उल्लंघन है। कोर्ट ने इस मामले में तीन नवम्बर तक आयोग और सरकार से जानकारी मांगी है।
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प्रमुख सचिव माध्यमिक शिक्षा को नोटिस जारी

इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने प्रमुख सचिव माध्यमिक शिक्षा को नोटिस जारी किया है। कोर्ट ने पूछा है कि क्यों न उनके खिलाफ अवमानना कार्यवाही की जाए। कोर्ट ने प्रदेश के राजकीय बालिका विद्यालयों में पेयजल आपूर्ति के लिए आरओ, वाशरूम, विद्युत आपूर्ति सहित अन्य सुविधाएं देने का आदेश दिया था, जिसका पालन नहीं किया गया। कोर्ट ने सचिव से आदेश के अनुपालन में उठाये गये कदमों की जानकारी भी मांगी है। याचिका की सुनवाई सात नवम्बर को होगी।

यह आदेश न्यायमूर्ति अरूण टंडन और न्यायमूर्ति राजीव जोशी की खण्डपीठ ने विनोद कुमार सिंह की जनहित याचिका पर दिया है। कोर्ट ने बालिका विद्यालयों में हैण्डपम्प से पानी आपूर्ति करने पर कड़ी आपत्ति करते हुए आदेश दिया था कि सभी कालेजों में आरओ लगाये जाए। यदि निर्धारित समय में कालेजों में आरओ नहीं लगाये जाते तो जिलाधिकारी कार्यालय में लगे आरओ कालेजों में शिफ्ट किये जाए। इस आदेश के खिलाफ राज्य सरकार सुप्रीम कोर्ट गयी। सुप्रीम कोर्ट ने डीएम कार्यालय से आरओ निकालकर कालेजों में लगाने के आदेश पर रोक लगाते हुए याचिका हाईकोर्ट द्वारा सुने जाने का आदेश दिया है। जिस पर कोर्ट ने राजकीय बालिका विद्यालयों में मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध कराने और उठाये गये कदमों की जानकारी उपलब्ध कराने का आदेश दिया हैै।
by Prasoon Pandey

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