यह आदेश न्यायमूर्ति अभिनव उपाध्याय ने वाराणसी की श्रीमती शोभा सिंह की याचिका को स्वीकार करते हुए दिया है। याचिका पर वरिष्ठ अधिवक्ता अशोक खरे, सिद्धार्थ खरे व भारत सरकार के अधिवक्ता एस.के.राय व गौरव कुमार चंद ने बहस की। मालूम हो कि याची की नियुक्ति आश्रित कोटे में पति की मौत के बाद की गयी। याची को प्रशिक्षण पर भेजा गया। जहां उसे मेडिकल जांच में एचआईवी पाजिटिव पाया गया। मेडिकल बोर्ड ने याची को एचआईवी पाजिटिव होने के आधार पर फोर्स की सेवा के लिए सही नहीं माना। सेंट्रल सिविल सर्विस (अस्थायी सेवाएं) नियमावली के नियम 6 के तहत याची को बर्खास्त कर दिया गया जिसे याचिका में चुनौती दी गयी।
याची का कहना था कि मेडिकल बोर्ड की राय में याची की अक्षमता स्थायी प्रकृति की नहीं है। सुप्रीम कोर्ट ने भी कहा है कि एचआईवी पाजिटिव को पुलिस की नौकरी नहीं दी जा सकती किन्तु उसे अन्य सेवाओं में रखा जा सकता है। केवल पाजिटिव होने मात्र से नौकरी देने से इंकार करना अनुच्छेद 14 के विपरीत है और नियम 6 केवल स्थायी अयोग्यता के मामले में ही लागू होगा। एचआईवी पाजिटिव होने मात्र से नौकरी से निकालना अनुच्छेद 14व 16 के विपरीत भेदभावकारी है।
84 के दंगा पीड़ितों को मिला मुआवजा, कोर्ट में दी गयी जानकारी
प्रदेश के प्रमुख सचिव गृह ने 1984 दंगा पीड़ितों का मुआवजा देने की केन्द्र सरकार की योजना को लागू करने की जानकारी दी और कहा कि नुकसान का दस गुना मुआवजा दिया गया है। गुरू सिंह सभा कानपुर की जनहित याचिका की सुनवाई कर रही इलाहाबाद हाईकोर्ट के न्यायमूर्ति अरूण टंडन तथा न्यायमूर्ति ऋतुराज अवस्थी की खण्डपीठ ने याची से ऐसे दो लोगों के नाम उदाहरण स्वरूप बताने को कहा है जिन्हें मुआवजा योजना के तहत नहीं मिला है। याचिका की सुनवाई 9 अक्टूबर को होगी। प्रमुख सचिव ने हाजिर होकर हलफनामा दाखिल किया। सरकार का पक्ष अपर महाधिवक्ता नीरज त्रिपाठी, सीएससी विकास त्रिपाठी ने रखा।
प्रदेश के प्रमुख सचिव गृह ने 1984 दंगा पीड़ितों का मुआवजा देने की केन्द्र सरकार की योजना को लागू करने की जानकारी दी और कहा कि नुकसान का दस गुना मुआवजा दिया गया है। गुरू सिंह सभा कानपुर की जनहित याचिका की सुनवाई कर रही इलाहाबाद हाईकोर्ट के न्यायमूर्ति अरूण टंडन तथा न्यायमूर्ति ऋतुराज अवस्थी की खण्डपीठ ने याची से ऐसे दो लोगों के नाम उदाहरण स्वरूप बताने को कहा है जिन्हें मुआवजा योजना के तहत नहीं मिला है। याचिका की सुनवाई 9 अक्टूबर को होगी। प्रमुख सचिव ने हाजिर होकर हलफनामा दाखिल किया। सरकार का पक्ष अपर महाधिवक्ता नीरज त्रिपाठी, सीएससी विकास त्रिपाठी ने रखा।
by PRASOON PANDEY