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घर का खुला मैदान भी किरायेदारी कानून में भवन माना जायेगा, हाईकोर्ट ने दिया आदेश

locationप्रयागराजPublished: Sep 12, 2019 10:24:34 pm

Submitted by:

Akhilesh Tripathi

किरायेदार ने खुले मैदान पर छत न होने के आधार पर भवन मानने से इंकार कर दिया था

Allahabad High court

इलाहाबाद हाईकोर्ट

प्रयागराज. इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा है कि उ.प्र. किराया नियंत्रण कानून की धारा 3 (1) के अंतर्गत मकान के साथ खुली जमीन भी भवन मानी जायेगी। यदि मकान के लान में जानवरों की चरही किराये पर दी गई है तो किराया न देने पर किरायेदारी कानून के तहत कार्यवाही में बेदखली की जा सकती है। किरायेदार ने खुले मैदान पर छत न होने के आधार पर भवन मानने से इंकार कर दिया था और कहा था कि उसकी किरायेदारी की बेदखली किराया कानून के तहत नहीं की जा सकती।
कोर्ट ने जानवरों की चरही को भवन मानते हुए किरायेदारी से बेदखली आदेश की वैध करार दिया है और किरायेदार की पुनरीक्षण याचिका खारिज कर दी है। यह आदेश न्यायमूर्ति एस.पी. केशरवानी ने कानपुर नगर सब्जी मंडी स्थित मकान संख्या 76/184 के खुले एरिया में जानवरों की नाद के किरायेदार मुन्नू यादव की याचिका पर दिया है। कोर्ट ने कहा है कि आउट हाउस, गैराज, गार्डेन भी भवन का अंतरंग हिस्सा है। छत विहीन होने के बावजूद वह भवन माना जायेगा।
बता दें कि मकान मालिक रामकुमार यादव ने मकान की खुली जगह पर जानवरों को खिलाने के लिए बनी 4 नाद याची को किराए पर दी। किराया बकाये पर मकान मालिक ने 18 जून 16 को नोटिस दी। न किराया दिया और न ही खाली किया तो वाद दायर हुआ। लघुवाद न्यायाधीश कानपुर नगर ने मकानमालिक के पक्ष में फैसला दिया जिसे चुनौती दी गयी थी। कोर्ट के सामने सवाल था कि खुला मैदान, जिस पर छत नहीं है, क्या भवन है? कोर्ट ने कहा भवन का आशय रिहायशी व व्यावसायिक है। इसमें सटी हुई जमीन भी शामिल है। जरूरी नहीं की जमीन छत से ढंकी हो।
BY- COURT CORROSPONDENCE

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