यह आदेश मुख्य न्यायाधीश गोविन्द माथुर तथा न्यायमूर्ति वाई.के. श्रीवास्तव की खंडपीठ ने सहकारी सस्ता गल्ला वितरण यूनियन सरधना मेरठ की तरफ से दाखिल जनहित याचिका को निस्तारित करते हुए दिया है। मालूम हो कि प्रदेश में सस्ते गल्ले के वितरण प्रणाली को आधार कार्ड से लिंक किया गया है ताकि फर्जी वितरण पर नकेल लग सके और हकदार लोगों को योजना का लाभ मिल सके।
सरकार ने वितरण प्रणाली पर नियंत्रण के लिए जिला खाद्य आपूर्ति अधिकारी कार्यालय में आधार सत्यापन खोलने व बन्द करने की व्यवस्था की है। इसके बावजूद अधिकारियो की मिलीभगत से कोटेदारांे ने खाद्यान्न वितरण में भारी घोटाला कर डाला। सस्ता गल्ला वितरित करने के बजाय मंहगे दाम पर खुले बाजार में बेच दिया गया। जरूरतमन्दों को अनाज नहीं दिया गया जिसके खुलासे के बाद सरकार ने कड़ी कार्यवाही की।
दुकानों के लाइसेंस निलंबित किये गए। अधिकारियांे की संलिप्तता की जांच का आदेश दिया गया। घोटाले के आरोपियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई गई है। जांच को समयबद्ध तरीके से यथाशीघ्र पूरी करने की मांग में यह याचिका दाखिल की गयी थी। कोर्ट ने एसटीएफ को कानून के तहत जांच कर कार्यवाई का भी आदेश दिया।